भारत 2030 तक हर साल 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) ग्रीन हाइड्रोजन बनाने और अपनी रिन्यूएबल एनर्जी (नवीकरणीय ऊर्जा) की क्षमता 500 GW तक बढ़ाने का काफी बड़ा लक्ष्य लेकर चल रहा है। साथ ही, देश का लक्ष्य है कि कार्बन उत्सर्जन में 45 प्रतिशत की कमी लाई जाए और 2070 तक नेट-जीरो एमिशन हासिल किया जाए।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने बताया, 'बायोफ्यूल, फ्लेक्स-फ्यूल गाड़ियां, इथेनॉल ब्लेंडिंग और ग्रीन हाइड्रोजन पर जबरदस्त फोकस है। भारत 2030 तक हर साल 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के अपने लक्ष्य की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहा है।'
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव पंकज जैन ने जोर देकर कहा कि इस इवेंट से सोलर एनर्जी, हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी और ऑयल एक्सप्लोरेशन (तेल अन्वेषण) में चल रही परियोजनाओं को और गति मिलेगी, जिससे भारत के ऊर्जा भविष्य को नया आकार मिलेगा। 11 से 14 फरवरी तक दिल्ली के यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर में हुए इंडिया एनर्जी वीक (IEW) 2025 में भारत ने ऊर्जा क्षेत्र में बड़े निवेश हासिल किए और अपनी इनोवेशन को दुनिया के सामने रखा।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय और फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री (FIPI) द्वारा आयोजित यह इवेंट दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ऊर्जा सम्मेलन बन गया है, जिसमें 120 से ज्यादा देशों के प्रदर्शक और निवेशक शामिल हुए।
IEW 2025 में नौ थीमैटिक जोन शामिल थे। इनमें हाइड्रोजन, बायोफ्यूल, रिन्यूएबल एनर्जी, एलएनजी, डिजिटलाइजेशन और पेट्रोकेमिकल्स हैं। इनमें सस्टेनेबल एनर्जी सॉल्यूशन्स में नई प्रगति को दिखाया गया।
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता होने के नाते भारत अपनी बढ़ती ऊर्जा मांग को जलवायु लक्ष्यों के साथ संतुलित कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'पंचामृत' रणनीति स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करती है। इसमें 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करना और उसी वर्ष तक 50 प्रतिशत ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करना शामिल है।
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