भारत के प्रसिद्ध "टर्टल मैन" सतीश भास्कर को समुद्री कछुए संरक्षण में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए मरणोपरांत सम्मानित किया गया। उनके संघर्ष पर आधारित फिल्म ने भी अमेरिका में कई पुरस्कार जीते हैं। सतीश भास्कर ने 1970 के दशक में समुद्री कछुओं की पहचान करने और उन्हें बचाने के लिए मुहिम छेड़ी थी। इस दौरान उन्होंने 7,516 किमी लंबी समुद्री यात्रा तय की। अधिकांश यात्रा उन्होंने पैदल तय की थी।
सतीश भास्कर के संघर्ष पर आधारित फिल्म टर्टल वॉकर ने साल की शुरुआत में जैक्सन वाइल्ड मीडिया अवार्ड्स में प्रतिष्ठित ग्रैंड टेटन अवार्ड जीता। इस फिल्म का निर्माण ज़ोया अख्तर, रीमा कागती, अंगद देव सिंह, विक्रम मालनी और ताइरा मालनी ने किया था। इस फिल्म को हाल ही में DOC NYC में प्रदर्शित किया गया था।
भारत ही नहीं दुनियाभर में ख्याति पाई
1970 के दशक की शुरुआत में, भास्कर मद्रास स्नेक पार्क में शामिल हो गए थे, जहां समुद्री जीवन के प्रति उनके जुनून ने उन्हें समुद्री कछुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने रिडले कछुए के घोंसलों की सुरक्षा के लिए रात में समुद्र तट की सैर शुरू की और जल्द ही भारत के अग्रणी समुद्री कछुए विशेषज्ञ बन गए। उन्होंने पूरे भारत, लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में व्यापक सर्वेक्षण किए, और अपने निष्कर्षों पर लगभग 50 रिपोर्टें जारी कीं। सतीश भास्कर का प्रभाव भारत से बाहर तक फैला। पश्चिमी पापुआ और इंडोनेशिया में उन्होंने एक सर्वेक्षण किया, जिसके परिणामस्वरूप 700 से अधिक लेदरबैक कछुओं की टैगिंग हुई। उन्होंने साउथ रीफ द्वीप पर हॉक्सबिल कछुओं के लिए एक निगरानी कार्यक्रम भी शुरू किया।
2010 में, भास्कर को सी टर्टल चैंपियन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हालांकि उन्होंने समारोह में भाग लेने से इनकार कर दिया था। 2018 में, डॉक्यूमेंट्री टर्टल वॉकर पर काम शुरू किया गया, जो भास्कर के जीवन और विरासत का वर्णन करती है। फिल्म के निर्माण के दौरान भास्कर की उम्र 73 साल थी और वो दक्षिण रीफ द्वीप पर लौट आए। इतने वृद्ध होने के बावजूद वो द्वीप पर तैरकर पहुंचे। अक्टूबर 2022 में अपनी पत्नी ब्रेंडा की मृत्यु के बाद भास्कर अकेले हो गए। मार्च 2023 में भास्कर का निधन हो गया।
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