फ्लोरिडा स्थित भारतीय-अमेरिकी व्यवसायी डैनी गायकवाड़ ने भारत में नौकरशाही से जुड़ी चुनौतियों पर गहरी निराशा व्यक्त की है। इस कारण वित्तीय सेवा कंपनी रेलिगेयर का अधिग्रहण करने के लिए गायकवाड़ के 600 करोड़ रुपये (70 मिलियन डॉलर) के निवेश में देरी हो रही है।
गायकवाड़ ने 5WH को एक विशेष बातचीत में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निवेशकों को आमंत्रित कर रहे हैं, और मैं तैयार हूं। लेकिन ब्रिटिश राज-युग की नौकरशाही अंतहीन प्रक्रियाओं के साथ रास्ता रोक रही है।
गायकवाड़ ने रेलिगेयर के लिए 275 रुपये प्रति शेयर की पेशकश की है। यह 235 रुपये प्रति शेयर की प्रतिस्पर्धी बोली से अधिक है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 12 फरवरी तक 600 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया है। हालांकि, धनराशि स्थानांतरित करना एक दुःस्वप्न रहा है।
इस बारे में गायकवाड़ ने कहा कि मैं पैसा ट्रांसफर करने के लिए संघर्ष कर रहा हूं। मेरे पास धन का सबूत है लेकिन कुछ बैंकों को आरबीआई की मंजूरी और अन्य अनुमोदन की आवश्यकता है। मैं सुबह 4 बजे से उठकर इन बाधाओं से निपटने की कोशिश कर रहा हूं।
गायकवाड़ और उनके निवेश समूह ने पीएम मोदी के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) पर जोर देने से प्रेरित होकर भारत में एक अवसर देखा। लेकिन बाधाएं हतोत्साहित कर रही हैं। उन्होंने इस मुद्दे को ट्रंप प्रशासन, व्हाइट हाउस और सीनेटर रिक स्कॉट के सामने भी उठाया है।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को मेरा यही संदेश है कि वे नौकरशाही को ठीक करें। यह कोई अहसान नहीं है, यह एक निवेश है जिससे भारत को फायदा होता है। मोदी भारत के लिए एक महान चीयरलीडर हैं, लेकिन उनकी टीम गेंद छोड़ रही है। गायकवाड़ निवेश के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन साथ ही चेतावनी देते हैं कि ऐसी बाधाएं बताती हैं कि भारत में FDI कम क्यों है।
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