अमेरिका के टैरिफ वॉर का भारतीय निर्यात और अर्थव्यवस्था पर किस कदर असर पड़ सकता है, इसका खुलासा ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की हालिया रिपोर्ट में किया गया है। इसमें कहा गया है कि भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात में आने वाले समय में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
रिपोर्ट बताती है कि 2025 में अमेरिका को भारतीय माल के निर्यात में 5.76 अरब डॉलर (करीब 6.41 प्रतिशत) की गिरावट आने का अनुमान है। यह आंकड़ा भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में आने वाले झटके की तरफ इशारा करता है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि भारत से मछली और समुद्री उत्पादों के निर्यात में सबसे ज्यादा 20.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जा सकती है। लोहा एवं इस्पात के निर्यात में 18 प्रतिशत की कमी आने की आशंका है।
इसके अलावा हीरे तथा सोने के निर्यात में भी 15.3 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है। वाहन और ऑटो पार्ट्स व इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में भी क्रमशः 12.1 प्रतिशत और 12 प्रतिशत की गिरावट की आशंका जताई गई है।
हालांकि कपड़ा और फार्मा जैसे कुछ क्षेत्रों में मामूली वृद्धि दर्ज की जा सकती है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह बढ़ोतरी ज्यादा समय तक टिकाने के आसार नहीं हैं। निर्यात में इस गिरावट की प्रमुख वजह अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ को माना जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने 74.8 प्रतिशत भारतीय निर्यात पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है।
आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि इस चुनौती से निपटने के लिए भारत को अपने निर्यात बाजारों को डायवर्सिफाई करना होगा, घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता को मजबूत करना होगा और अमेरिका के साथ अनुकूल व्यापार समझौतों पर पुनर्विचार करना होगा।
इसके अलावा उत्पादों की गुणवत्ता और इनोवेशन में निवेश को बढ़ावा देकर वैश्विक बाजार में अपनी जगह बनानी होगी। भारत को अपनी व्यापार नीतियों में बदलाव करते हुए अधिक संतुलित और टिकाऊ रणनीति अपनानी होगी।
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