रंगों का त्योहार होली दस्तक दे रहा है। इसीलिए भारत के बाजार रंगों से सराबोर हैं और त्योहारी व्यापार 60,000 करोड़ रुपये के पार जाने की उम्मीद है। अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (CAIT) के अनुमान के अनुसार पिछले साल के 50,000 करोड़ रुपये के मुकाबले इस बार 20% की वृद्धि की उम्मीद है।
CAIT के महासचिव और चांदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि इस बार होली की बिक्री के दौरान व्यापारियों और ग्राहकों ने चीनी सामान का बहिष्कार किया है। इसके बजाय केवल भारत में बने हर्बल रंग, गुलाल, पिचकारी, गुब्बारे, चंदन, पूजा सामग्री, परिधान और अन्य सामान ही बड़े पैमाने पर बेचे जा रहे हैं।
व्यापारी और ग्राहक चीनी सामान का बहिष्कार कर रहे हैं और भारत में बने हर्बल रंग, गुलाल, पिचकारी, गुब्बारे और पूजा की आवश्यक वस्तुओं को चुन रहे हैं। परिधान, मिठाइयां, सूखे मेवे, FMCG उत्पाद और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं तेजी से बिक रही हैं। इससे बिक्री में भारी वृद्धि हुई है।
टी-शर्ट, कुर्ता-पजामा और होली-थीम वाले कपड़ों की भी भारी मांग है। दिल्ली और उसके बाहर भव्य होली मिलन समारोहों के लिए रेस्तरां, होटल, फार्महाउस और सार्वजनिक स्थल पूरी तरह से बुक हैं।
व्यापारिक संगठन का अनुमान है कि अकेले दिल्ली में होली की बिक्री 8,000 करोड़ रुपये से अधिक होने वाली है। 13 मार्च को होलिका दहन और 14 मार्च को रंगों के त्योहार के साथ, थोक और खुदरा बाजार खचाखच भरे हुए हैं। मिठाई की दुकानों में बिक्री में उछाल देखा जा रहा है। खासकर होली के लिए खास गुजिया और सूखे मेवे की मालाओं की खासी मांग है।
हर्बल गुलाल चर्चा का विषय बन रहा है। इससे रासायनिक रंग किनारे हो गए हैं। इस बीच, फैंसी डिजाइन और स्पाइडर-मैन और छोटा भीम जैसे कार्टून थीम वाले मॉडल बच्चों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। प्रेशर वॉटर गन: 100-350 रुपये, टैंक-स्टाइल वॉटर गन 100-400 रुपये और ट्रेंडी पाइप वॉटर गन इस साल काफी लोकप्रिय हैं। साथ ही स्प्रे-आधारित गुलाल की ग्राहकों के बीच बहुत अधिक मांग देखी जा रही है।
चहल-पहल भरे बाजारों से लेकर खचाखच भरे पार्टी स्थलों तक, होली सिर्फ एक त्योहार नहीं है यह एक आर्थिक शक्ति है। व्यापारी, खुदरा विक्रेता और MSME इसका भरपूर लाभ उठा रहे हैं। इससे इस साल का त्योहार रंगों और वाणिज्य की ऐसी धूम मचा रहा है जैसी पहले कभी नहीं देखी गई!
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