अमेरिका के इमीग्रेशन और कस्टम्स इनफोर्समेंट (ICE) ने 19 दिसंबर को अपनी सालाना रिपोर्ट (2024) जारी की। रिपोर्ट में एक बड़ी बात सामने आई है कि भारतीय नागरिकों के खिलाफ इमीग्रेशन के मामले बहुत बढ़ गए हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में इमीग्रेशन की पॉलिसी अब पहले से अधिक सख्त हो गई है। जिन लोगों को देश से बाहर जाने का आदेश मिल चुका है, उन पर ज्यादा कार्रवाई हो रही है।
ICE की हिरासत में सबसे अधिक विदेशियों में भारतीय चौथे नंबर पर हैं। अभी अमेरिका की जेलों में 2647 भारतीय नागरिक बंद हैं। अगर दूसरे देशों की बात करें तो मेक्सिको के 5089, होंडुरास के 2957 और ग्वाटेमाला के 2713 नागरिक हिरासत में हैं। इस रिपोर्ट का मकसद ये दिखाना है कि अपराधों की जांच और इमीग्रेशन कानून को लागू करके ICE देश की सुरक्षा और जनता की सुरक्षा को कैसे मजबूत बना रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024 में ICE ने 1529 भारतीयों को देश से बाहर निकाल दिया। ये आंकड़ा 2021 के मुकाबले बहुत अधिक है। 2021 में कुल 59,011 लोगों को डिपोर्ट किया गया था, जिसमें भारतीयों की संख्या महज 292 थी। लेकिन 2024 में कुल 271,484 डिपोर्टेशन में 1529 भारतीय शामिल हैं।
पिछले कुछ वर्षों में डिपोर्टेशन की संख्या में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है। कोरोना के दौरान (2021 और 2023) डिपोर्टेशन में बहुत कमी आई। 2019 में 1616, 2020 में 2312, 2022 में महज 276 और 2023 में 370 भारतीयों को देश से बाहर निकाला गया था।
इसके अलावा, नवंबर 2024 तक के ICE के आंकड़ों के मुताबिक, 17,940 भारतीय नागरिक ऐसे हैं जिनको देश छोड़ने का आदेश मिल चुका है, लेकिन वो अभी हिरासत में नहीं हैं। इन पर नजर रखी जा रही है और इनके खिलाफ डिपोर्टेशन की कार्रवाई जारी है।
इमीग्रेशन के मामलों के अलावा, ICE के कल्चरल प्रॉपर्टी, आर्ट्स और एंटीक्विटीज (CPAA) प्रोग्राम ने भारत के साथ मिलकर चोरी हुए पुराने सामानों की तस्करी रोकने में काम किया है। इसमें वर्कशॉप्स भी शामिल थे। इससे दुनिया की विरासत को बचाने के लिए ICE की जिम्मेदारी भी दिखाई देती है।
भारतीय नागरिकों के लिए अमेरिका में हालात काफी मुश्किल होते जा रहे हैं। डिपोर्टेशन, हिरासत और बिना हिरासत वाले मामलों की बढ़ती संख्या इस बात की ओर इशारा करती है। इसलिए जरूरी है कि प्रभावित लोगों और उनके परिवारों को कानूनी मदद और सलाह मिले।
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