वर्जीनिया की 10वीं कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट से अमेरिकी प्रतिनिधि चुने गए भारतीय अमेरिकी सांसद सुहास सुब्रमण्यम के कार्यकाल के पहले 100 दिन विवादों से घिर गए हैं। यह विवाद कथित रूप से अमेरिकन इज़रायल पब्लिक अफेयर्स कमिटी (AIPAC) से चुनावी फंडिंग लेने को लेकर उठा है।
13 अप्रैल को फेयरफैक्स काउंटी में आयोजित टाउन हॉल बैठक के दौरान जब एक नागरिक ने AIPAC से चंदा लेने को लेकर सवाल किया, तो सुब्रमण्यम ने स्पष्ट रूप से कहा, "AIPAC ने मुझे कोई पैसा नहीं भेजा है। मैंने उनसे कहीं ज़्यादा फंडिंग उन लोगों से प्राप्त की है जो इज़रायल का विरोध करते हैं। मेरा वोट खरीदा नहीं जा सकता – मैं अपने समुदाय, तथ्यों और देश के हितों के आधार पर निर्णय लेता हूं।"
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हालांकि, ओपन सीक्रेट्स नामक संस्था की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2023-24 के चुनावी चक्र में AIPAC, सुब्रमण्यम के लिए शीर्ष दानदाता रहा है। वहीं, AIPAC ट्रैकर नामक संगठन ने एक फैक्ट चेक जारी कर बताया कि सुब्रमण्यम ने AIPAC से कुल $32,943.19 की फंडिंग प्राप्त की है, जो उनकी आधिकारिक अभियान वित्त रिपोर्ट में दर्ज है।
AIPAC ट्रैकर का यह भी कहना है कि AIPAC का समर्थन प्राप्त करने के लिए उम्मीदवारों को इज़रायल पर अपनी नीति स्पष्ट करते हुए “इज़रायल पोज़िशन पेपर” भी जमा करना पड़ता है।
इस पूरे विवाद ने न केवल सुब्रमण्यम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि वर्जीनिया के भारतीय अमेरिकी समुदाय और प्रगतिशील मतदाताओं के बीच असमंजस भी पैदा कर दिया है। अब देखना होगा कि कांग्रेसमैन सुब्रमण्यम इस मुद्दे से कैसे निपटते हैं और आगे क्या सफाई पेश करते हैं।
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