भारत के विभु विक्रमादित्य को 2024 की साउंड मनी स्कॉलरशिप में पहला स्थान प्राप्त हुआ है। पुणे स्थित गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिक्स के विभु को 2,000 डॉलर का पुरस्कार प्रदान किया गया है।
साउंड मनी के उद्देश्यों को बढ़ावा देने वाली इस सालाना प्रतियोगिता में नौ उत्कृष्ट छात्रों को 11,500 डॉलर के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इस प्रतियोगिता में चार महाद्वीपों, एक दर्जन देशों और अमेरिका के 35 राज्यों के 200 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था।
ये प्रतियोगिता छात्रों को मौद्रिक नीति, आर्थिक स्वतंत्रता और आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में साउंड मनी की भूमिका से जुड़े पहलुओं की खोज के लिए प्रेरित करती है। बिहार के पटना के रहने वाले विभु के जिस निबंध के आधार पर उन्हें प्रथम पुरस्कार के लिए चुना गया है, वह इन जटिल विषयों पर उनकी गहरी समझ को दर्शाता है।
विभु इकनोमिक्स के स्कॉलर हैं। उनका शोध पूंजी सिद्धांत, मौद्रिक सिद्धांत और व्यापार चक्रों पर केंद्रित है। वे कानूनी और आर्थिक दोनों पहलुओं से आर्थिक घटनाओं को परखते हैं। उनका मानना है कि शांति, समृद्धि और सतत विकास के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकारों की सुरक्षा महत्वपूर्ण है।
इस प्रतियोगिता का आयोजन मनी मेटल्स एक्सचेंज और साउंड मनी डिफेंस लीग द्वारा किया गया था। इसका फोकस फेडरल रिजर्व सिस्टम, साउंड मनी मॉनिटरी सिस्टम, सेंट्रल बैंक की डिजिटल करंसी और अमेरिकी डॉलर पर ब्रिक्स मुद्रा के प्रभाव आदि विषयों पर था।
अमेरिका में कीमती धातुओं के प्रमुख डीलर मनी मेटल्स एक्सचेंज ने 2016 में इस स्कॉलरशिप की स्थापना की थी। इसके तहत अर्थशास्त्र और साउंड मनी सिद्धांतों की गहरी समझ रखने वाले छात्रों को पुरस्कृत करने के लिए 100 औंस गोल्ड की व्यवस्था की गई थी। तब से सोने का मूल्य दोगुने से भी अधिक होने के कारण छात्रवृत्ति की रकम भी बढ़ गई है।
मनी मेटल्स एक्सचेंज के सीईओ स्टीफन ग्लीसन ने साउंड मनी सिद्धांतों की वकालत और इसके प्रचार प्रसाल के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि मनी मेटल्स सिर्फ कीमती धातुओं को खरीदने-बेचने से नहीं जुड़ा है, हम ऐसे छात्रों को भी सपोर्ट करते हैं जो आर्थिक स्वतंत्रता और स्थिर मुद्रा के हमारे विश्वास में यकीन करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इस स्कॉलरशिप प्रोग्राम के माध्यम से हमारा उद्देश्य साउंड मॉनेटरी पॉलिसियों के महत्व को बढ़ावा देना और संबंधित क्षेत्रों में विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा की बढ़ती लागत को पूरा करने में मदद करना है।
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