एक जमाने में भारत की शीर्ष एयरलाइंस में शुमार जेट एयरलाइस के अब फिर से शुरू होने की संभावनाओं पर विराम लग गया है। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने दिवालिया जेट एयरवेज की परिसंपत्तियों को बेचने का आदेश दिया है।
जेट एयरवेज कभी भारत की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन थी। 1.2 बिलियन डॉलर के कर्ज में दबी एयरलाइंस ने पांच साल पहले अपना परिचालन बंद कर दिया था क्योंकि उसके पास नकदी नहीं बची थी और उसके विमान खड़े हो गए थे। पांच साल की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने उसकी संपत्तियों को बेचने पर मुहर लगा दी है।
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने पिछले साल एयरलाइन का स्वामित्व खरीदारों के समूह को हस्तांतरित करने की मंजूरी दे दी थी जिसमें यूएई के कारोबारी मुरारी लाल जालान भी शामिल थे। हालांकि समाधान की इस प्रक्रिया को अंजाम देने के तरीके पर ऋणदाताओं ने सवाल उठाए थे और अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने स्वामित्व का हस्तांतरण यह कहकर पलट दिया कि कंसोर्टियम ने अधिग्रहण के लिए कानूनी शर्तों का पालन नहीं किया था। ऐसे में इस खरीद पर आगे बढ़ने की अनुमति देना कानून की नजर में विकृत और अस्थिर साबित होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की एक दिवालिया प्रक्रिया अदालत को एयरलाइन की परिसंपत्तियों की बिक्री की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवश्यक औपचारिकताएं शुरू करने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि कर्ज में डूबी भारतीय की बजट एयरलाइन गो फर्स्ट ने भी पिछले साल दिवालिया होने से बचाने के लिए याचिका दायर की थी। उसने अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी प्रैट एंड व्हिटनी के कथित खराब इंजनों को अपने आधे विमानन बेड़े की ग्राउंडिंग के लिए दोषी ठहराया था।
उससे पहले, भारत की किंगफिशर एयरलाइंस सरकारी बैंकों का लाखों डॉलर का कर्ज चुकाने में नाकाम रहने पर 2012 में बंद हो गई थी। उसके मालिक विजय माल्या चार साल बाद भारत से भाग गए थे और इस समय लंदन में वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
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