अमेरिकी चावल उद्योग के एक नेता ने सांसदों को बताया कि भारत अपने चावल उत्पादकों को 90 प्रतिशत से अधिक की सब्सिडी देता है। इसके परिणामस्वरूप उसके चावल को विश्व बाजार में कृत्रिम रूप से कम कीमतों पर डंप करना पड़ता है।
यूएसए राइस के निदेशक मंडल की सदस्य जेनिफर जेम्स ने कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सांसदों को बताया कि भारत अपने चावल उत्पादकों को 90 प्रतिशत से अधिक की सब्सिडी देता है जिससे भारत को कृत्रिम रूप से कम कीमतों पर विश्व बाजार में चावल डंप करने का मौका मिलता है। इससे वैश्विक चावल की कीमतें कम हो जाती हैं और अमेरिकी चावल निर्यात में कमी आती है।
यूएसए राइस संयुक्त राज्य अमेरिका में चावल उत्पादकों का प्रतिनिधि निकाय है। अमेरिकी चावल उद्योग सालाना 20 अरब पाउंड चावल का उत्पादन करता है। पूरे देश में 5,563 चावल किसान हैं जो सामूहिक रूप से 2.8 मिलियन एकड़ में चावल उगाते हैं। छह प्रमुख चावल उत्पादक राज्य अर्कांसस, कैलिफोर्निया, लुइसियाना, मिसिसिपी, मिसौरी और टेक्सास हैं।
5 फरवरी को 'कृषि अर्थव्यवस्था' पर सीनेट कृषि, पोषण और वानिकी समिति के समक्ष गवाही देते हुए जेनिफर ने आरोप लगाया कि इस शिकारी व्यापार प्रथा ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक बनने, विश्व बाजार के 40 प्रतिशत हिस्से को नियंत्रित करने और अमेरिकी चावल निर्यात को दबाने की स्थितियां पैदा की हैं।
जेनिफर ने कहा कि अमेरिकी चावल उद्योग हर साल देश की अर्थव्यवस्था में 34 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का योगदान देता है और 125,000 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
भारत दुनिया में शीर्ष चावल निर्यातक है। इसके बाद थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और कंबोडिया का नंबर है। अमेरिका दुनिया का 5वां सबसे बड़ा चावल निर्यातक है और एशिया के बाहर सबसे बड़ा चावल निर्यातक है।
जेनिफर 2019 में राइस बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में सेवा के लिए चुनी गई पहली महिला बनी थीं। बकौल जेनिपर अमेरिकी चावल किसान लंबे समय से आर्थिक तूफान का सामना कर रहे हैं।
जेम्स ने कहा कि हमने 2020 और 2021 में कई अन्य फसलों की कीमतों में बढ़ोतरी का आनंद नहीं लिया, लेकिन हमने उत्पादन लागत में भारी वृद्धि का सामना किया। दुर्भाग्य से मूल्य हानि कवरेज कार्यक्रम जो कि चावल के लिए मुख्य सुरक्षा तंत्र है हमारे उत्पादकों के लिए पुराना है।
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