रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने शुक्रवार को करीब पांच साल बाद पहली बार अपनी अहम रेपो रेट में कटौती की। ये कदम धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए उठाया गया है। आशंका जताई जा रही है कि इस साल देश की इकॉनमी चार साल में सबसे धीमी रफ्तार से आगे बढ़ेगी।
मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने रेट कट का फैसला लिया है। इस कमेटी में RBI के तीन और बाहर के तीन मेंबर होते हैं। लगातार ग्यारह मीटिंग से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। लेकिन इस बार MPC ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करके उसे 6.25% कर दिया। यानी, बैंकों को अब रिजर्व बैंक से पैसा थोड़ा सस्ता मिलेगा।
ये फैसला रॉयटर्स के एक सर्वे से मेल खाता है। इस सर्वे में 70% अर्थशास्त्रियों ने ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती का अनुमान लगाया था। मई 2020 के बाद से ये भारत की मुख्य ब्याज दर में पहली कटौती है। MPC के सभी छह मेंबरों ने रेपो रेट में कटौती और मौद्रिक नीति का रुख 'न्यूट्रल' रखने के पक्ष में वोट दिया। MPC ने कहा कि भले ही विकास दर में सुधार की उम्मीद है, लेकिन पिछले साल के मुकाबले यह बहुत कम है। मौजूदा महंगाई के हालात को देखते हुए ब्याज दरों में कमी का रास्ता साफ हो गया है। दिसंबर में नियुक्ति के बाद गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपनी पहली पॉलिसी समीक्षा में यह बात कही।
भारत सरकार ने मार्च में खत्म होने वाले साल के लिए 6.4% की सालाना विकास दर का अनुमान लगाया है। ये उनके पहले के अनुमान से कम है। कमजोर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और धीमी कॉरपोरेट निवेश की वजह से ये हुआ है। अगले वित्त वर्ष में भी विकास दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान है।
सेंट्रल बैंक ने अगले साल 6.7% की ग्रोथ का अनुमान लगाया है। आरबीआई के गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि रोजगार के हालात में सुधार, हाल ही में घोषित टैक्स में कटौती, कम होती महंगाई और अच्छी मानसून के बाद अच्छी कृषि उपज से ग्रोथ को मदद मिलेगी।
हालांकि खुदरा महंगाई अभी भी 4% के लक्ष्य से काफी ऊपर है, लेकिन दिसंबर में यह घटकर चार महीने के निचले स्तर 5.22% पर आ गई है। आने वाले महीनों में धीरे-धीरे यह लक्ष्य के करीब आने की उम्मीद है।सेंट्रल बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में महंगाई का औसत 4.8% रहेगा और अगले साल घटकर 4.2% हो जाएगा।
गवर्नर ने कहा कि खाने-पीने की चीजों की महंगाई कम होने की उम्मीद है, लेकिन ऊर्जा की कीमतों में उतार-चढ़ाव महंगाई के आउटलुक के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं। इस घोषणा के बाद भारत का बेंचमार्क 10 साल का बॉन्ड यील्ड चार बेसिस पॉइंट्स बढ़कर 6.69% हो गया, जबकि रुपया बढ़कर 87.38 पर पहुंच गया। घोषणा के बाद बेंचमार्क इक्विटी इंडेक्स में बढ़ोतरी देखी गई।
बोमन ईरानी, प्रेसिडेंट, कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया ने कहा, 'RBI द्वारा रेपो रेट में की गई कटौती हालिया बजट उपायों के साथ है, जिनका उद्देश्य खर्च बढ़ाना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। यह बहुत जरूरी थी, खासकर कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में हाल ही में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती के बाद, जिससे बैंकिंग सिस्टम में पहले ही काफी लिक्विडिटी आ गई है।
उन्होंने आगे कहा, 'हालांकि मौजूदा कटौती का सीधा प्रभाव सीमित हो सकता है, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि अगली MPC बैठक में ब्याज दरों में और कमी से कुल मांग को और बढ़ावा मिलेगा, जिससे खासकर मध्यम आय और किफायती वर्गों में आवास की बिक्री में तेजी आएगी।'
उपासना भारद्वाज, मुख्य अर्थशास्त्री, कोटक महिंद्रा बैंक, मुंबई ने कहा, 'MPC का रेपो रेट में 25 bps की कटौती करने और न्यूट्रल रुख बनाए रखने का फैसला हमारी उम्मीदों के अनुरूप है। धीमी होती विकास दर और महंगाई के आउटलुक ने मौद्रिक ढील देने की गुंजाइश पैदा कर दी है। RBI को यह सुनिश्चित करने के लिए तरलता की स्थिति पर और बारीकी से नजर रखने की आवश्यकता होगी कि यह पॉलिसी के रुख के साथ तालमेल में रहे।'
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