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तीन महीने की सुस्ती के बाद अक्टूबर में भारत की मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ में तेजी : रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, तेजी से बढ़ते नए ऑर्डर और अंतरराष्ट्रीय बिक्री भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूत मांग वृद्धि को दर्शाते हैं। उत्पादन और नए ऑर्डर सब-इंडेक्स तीन महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गए, जिसमें मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। 

बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, फर्मों ने सितंबर की तुलना में कई ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी पर रखा। / Reuters

तीन महीने की धीमी गति के बाद अक्टूबर में भारत की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ में तेजी आई है। डिमांड में काफी सुधार होने से नौकरी के अवसर बढ़े हैं और कारोबारी आउटलुक अच्छा हुआ है। सोमवार को जारी हुए एक बिजनेस सर्वे से ये जानकारी सामने आई है।

S&P Global द्वारा तैयार किए गए HSBC के भारतीय मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स (PMI) अक्टूबर में 56.5 से बढ़कर 57.5 हो गया। यह सितंबर में आठ महीने का निचला स्तर था। यह 57.4 के प्रारंभिक अनुमान से भी ज्यादा है। HSBC के मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, 'भारत का मैन्युफैक्चरिंग PMI अक्टूबर में काफी बढ़ा है। इसकी वजह ये है कि अर्थव्यवस्था की कामकाज की स्थिति में सामान्य रूप से सुधार हो रहा है।'

रिपोर्ट के मुताबिक, 'तेजी से बढ़ते नए ऑर्डर और अंतरराष्ट्रीय बिक्री भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूत मांग वृद्धि को दर्शाते हैं। उत्पादन और नए ऑर्डर सब-इंडेक्स तीन महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गए, जिसमें मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। सितंबर में डेढ़ साल के निचले स्तर से अंतरराष्ट्रीय मांग में सुधार हुआ। भारतीय वस्तुओं की मांग के कारण एशिया, यूरोप, लैटिन अमेरिका और अमेरिका से ऑर्डर आए। तेज मांग ने अगले साल के लिए आउटलुक को भी मजबूत किया।'

भंडारी ने कहा, मजबूत उपभोक्ता मांग, नए उत्पाद रिलीज और मंजूरी के इंतजार में बिक्री की उम्मीदों के कारण कारोबारी भरोसा भी बहुत ज्यादा है। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, फर्मों ने सितंबर की तुलना में कई ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी पर रखा। लगातार आठवें महीने नौकरी में बढ़ोतरी हुई है। 

यह शायद सरकार के लिए कुछ राहत लाएगा, जो काम पर लगने वालों के लिए काफी अच्छी तन्ख्वाह वाली नौकरियाँ पैदा करने में नाकाम रही है। एक हफ्ते पहले जारी किए गए एक रॉयटर्स पोल ने दिखाया कि अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि अगले 12 महीनों में नौकरी सृजन सीमित रहेगा। 

महांगाई का दबाव बढ़ा है, इनपुट और आउटपुट दोनों की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। इनपुट लागत महंगाई तीन महीनों में सबसे ज्यादा थी, जो उच्च सामग्री लागत, वेतन बिल और परिवहन शुल्क के कारण हुई। फर्मों ने सितंबर की तुलना में बहुत तेजी से अपनी अतिरिक्त लागत अपने ग्राहकों को दी है। 

सितंबर में भारत की महंगाई दर 5.49% पर थी, जो नौ महीनों का उच्च स्तर है। इस बढ़ोत्तरी का मुख्य कारण फूड प्राइस में वृद्धि है। यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 2-6% लक्ष्य की ऊपरी सीमा के करीब है।हालांकि, पिछले हफ्ते जारी हुए एक अलग रॉयटर्स पोल में ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने कहा कि RBI दिसंबर में ब्याज दर में कमी कर सकता है। यह वर्तमान में 6.50% है और इसे घटाकर 6.25% किया जा सकता है।

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