भारत ने अपनी आर्थिक यात्रा में एक उल्लेखनीय मुकाम हासिल किया है। अप्रैल 2000 के बाद से सकल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) का इनफ्लो एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस उपलब्धि में मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में करीब 26% की वृद्धि के साथ 42.1 बिलियन डॉलर एफडीआई का बड़ा योगदान है। यह वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में भारत की बढ़ते आकर्षण को दर्शाता है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि एफडीआई से पर्याप्त गैर-ऋण वित्तीय संसाधन प्राप्त हुआ, जिससे प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा मिला और रोजगार के नए अवसर हुए। इसने भारत के विकास में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाई।
मंत्रालय के मुताबिक मेक इन इंडिया, उदार सरकारी नीतियों और जीएसटी जैसी पहलों से निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। प्रतिस्पर्धी श्रम लागत और रणनीतिक प्रोत्साहन से भी बहुराष्ट्रीय कॉरपोरेशन को आकर्षित करने में मदद मिली है।
अप्रैल 2014 से लेकर सितंबर 2024 तक के दशक में एफडीआई का कुल इनफ्लो 709.84 बिलियन डॉलर था। पिछले 24 वर्षों में कुल एफडीआई इनफ्लो 68.69% था। यह मजबूत निवेश वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को आकार देने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
मंत्रालय ने बताया कि एफडीआई आकर्षित करने में उल्लेखनीय उपलब्धि की ये प्रमुख वजहें हैं-
प्रतिस्पर्धा और नवाचार: विश्व प्रतिस्पर्धात्मक सूचकांक 2024 में भारत की रैंकिंग 2021 में 43वें से तीन पायदान ऊपर चढ़कर 40वें स्थान पर पहुंच गई। इसके अलावा भारत को शीर्ष 50 देशों में 48वें सबसे नवीन देश के रूप में नामित किया गया जिसने ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2023 में 81वां स्थान हासिल किया।
वैश्विक निवेश: ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट 2023 के अनुसार, 1,008 ग्रीनफील्ड परियोजना घोषणाओं के साथ भारत ग्रीनफील्ड परियोजनाओं का तीसरा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता रहा है। भारत में अंतर्राष्ट्रीय परियोजना वित्तीय सौदों की संख्या में भी 64% की बढ़ोतरी हुई और वह दूसरा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बन गया।
कारोबारी माहौल: भारत ने अपने कारोबारी माहौल को सुधारने में उल्लेखनीय प्रगति की है। विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट के अनुसार भारत 2014 के 142वें नंबर से बढ़कर 2020 में 63वें स्थान पर पहुंच गया है। ये छलांग नियमों को सरल बनाने, नौकरशाही की बाधाओं खत्म करने, व्यापार अनुकूल वातावरण बनाने और निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के सरकार के निरंतर प्रयासों से संभव हो सका है।
नीतियों में सुधार: एफडीआई को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने निवेशक अनुकूल नीति बनाई है जिसमें कुछ रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर अधिकांश को ऑटोमैटिक रूट से 100% एफडीआई के लिए खोल दिया है। स्टार्टअप्स और विदेशी निवेशकों के लिए टैक्स अनुपालन सरल बनाने के लिए आयकर अधिनियम में संशोधन से एंजेल टैक्स खत्म किया है और विदेशी कंपनी की आय पर लगने वाली आयकर दर को कम किया गया है।
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