इंडो-कैनेडियन समुदाय ने 2025 के पहले चुनावी समर में शानदार प्रदर्शन करते हुए ओंटारियो प्रांतीय संसद (असेम्बली) में अपनी सभी मौजूदा सीटों को बरकरार रखा। इस ऐतिहासिक जीत में समुदाय के नौ उम्मीदवारों ने सफलता हासिल की, जिससे भारतीय मूल के नेताओं की मजबूत राजनीतिक पकड़ का संकेत मिलता है।
ब्रम्पटन में प्रभावशाली प्रदर्शन
प्रोग्रेसिव कंजरवेटिव पार्टी के उम्मीदवारों हरदीप ग्रेवाल, प्रभमीत सिंह सरकारिया, अमरजोत संधू, दीपक आनंद और नीना टंगरी ने ब्रम्पटन की विभिन्न सीटों पर अपनी जीत को दोहराया। वहीं, अन्य दक्षिण एशियाई मूल के उम्मीदवारों आदिल शमजी (डॉन वैली ईस्ट), विजय त्यागराजन (स्कारबोरो रूज पार्क), डॉली बेगम (स्कारबोरो साउथवेस्ट - एनडीपी) और चंद्रा पासमा (ओटावा वेस्ट - एनडीपी) ने भी अपनी-अपनी सीटों को बरकरार रखा।
कुछ सीटों पर कड़ी टक्कर
इस चुनाव में कई उम्मीदवारों ने मजबूत प्रदर्शन किया, हालांकि कुछ प्रत्याशी दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। बर्फीले तूफानों के बावजूद 140 वर्षों में पहली बार फरवरी में हुए इस चुनाव में 45.4 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
भारतीय समुदाय के उम्मीदवारों की टक्कर
ब्रम्पटन ईस्ट में भारतीय मूल के उम्मीदवारों के बीच सबसे दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला, जहां हरदीप ग्रेवाल (14,795 वोट) ने अपनी सीट बचाई, जबकि विकी ढिल्लों (लिबरल – 8519 वोट) दूसरे और मार्टिन सिंह (एनडीपी – 3106 वोट) तीसरे स्थान पर रहे।
अन्य प्रमुख मुकाबले
ब्रम्पटन साउथ में प्रभमीत सिंह सरकारिया ने तीन भारतीय मूल के उम्मीदवारों को हराया।
ब्रम्पटन वेस्ट में अमरजोत संधू ने भी जीत दर्ज की।
मार्खम यूनियनविल में जगबीर दुसांझ (लिबरल) ने 10,158 वोट पाकर दूसरा स्थान प्राप्त किया।
नियाग्रा फॉल्स में शफोली कपूर (लिबरल) तीसरे स्थान पर रहीं।
ओशावा में वीरेश बंसल (लिबरल) विवादों के बीच 3891 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
स्कारबोरो और अन्य इलाकों में भारतीय समुदाय का बढ़ता प्रभाव
स्कारबोरो नॉर्थ में अनिता आनंदराजन (लिबरल – 8316 वोट) और नवीनाथन थडसा (एनडीपी – 2496 वोट) ने चुनावी शुरुआत की।
पार्कडेल-हाई पार्क में रिम्मी रिआर (कम्युनिस्ट पार्टी) छठे स्थान पर रहीं।
सॉल्ट सेंट मैरी में गुरविंदर दुसांझ (लिबरल) ने 3038 वोट हासिल कर तीसरा स्थान प्राप्त किया।
इस चुनाव में भारतीय समुदाय के उम्मीदवारों ने न केवल जीत दर्ज की बल्कि मजबूत उपस्थिति भी दिखाई, जिससे भविष्य में उनकी राजनीतिक स्वीकार्यता और वोट शेयर बढ़ने की संभावनाएं मजबूत हुई हैं।
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