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भारत-अमेरिका के बीच परमाणु सहयोग जल्द संभव होगा, दिल्ली में अमेरिकी NSA का बड़ा बयान

2007 में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने भारत के साथ असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर दस्तखत किए थे, लेकिन तकनीकी अड़चनों की वजह से सहयोग संभव नहीं हो सका है।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। / X @narendramodi

भारत के दो दिनी दौरे पर आए अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भारत-अमेरिका के बीच हुए असैन्य परमाणु समझौते को लेकर अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका इस समझौते की राह की अड़चनों को दूर करके इसे आगे बढ़ाने पर काम कर रहा है।

आईआईटी दिल्ली में संबोधन के दौरान सुलिवन ने कहा कि करीब 20 साल पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने असैनिक परमाणु समझौते की दूरदर्शी सोच के साथ नींव रखी थी जिसे हमें हकीकत बनाना है।

सुलिवन ने सोमवार को नई दिल्ली में कहा कि अमेरिका अब इस परमाणु समझौते की राह में आई उन लंबित रुकावटों को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है, जिनकी वजह से भारत की प्रमुख परमाणु संस्थाओं और अमेरिकी कंपनियों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग धरातल पर संभव नहीं हो पाया है।

सुलिवन ने कहा कि औपचारिक कागजी कार्रवाई जल्द ही की जाएगी जिससे अतीत के टकराव दूर होंगे और संस्थाओं को अमेरिका की प्रतिबंधित सूची से बाहर आने का अवसर मिलेगा और वे हमारे निजी क्षेत्र, वैज्ञानिकों और टेक्नोनॉजिस्ट के साथ मिलकर असैन्य परमाणु सहयोग को आगे बढ़ा सकेंगे।

गौरतलब है कि 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने भारत को असैन्य परमाणु तकनीक बेचने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए सिविल न्यूक्लियर डील पर दस्तखत किए थे। दोनों देश 2019 में भारत में छह अमेरिकी परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने पर सहमत हुए थे।

हालांकि भारत के परमाणु जवाबदेही संबंधी कानून इस समझौते पर अमल की राह में बाधा बने हुए हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत अपने नियमों को वैश्विक मानदंडों के अनुरूप बनाए जिसमें किसी दुर्घटना की स्थिति में भरपाई की जिम्मेदारी परमाणु प्लांट निर्माता के बजाय ऑपरेटर पर होती है।

सुलिवन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। बाद में, मोदी ने एक्स पर लिखा कि अमेरिकी एनएसएस से मिलकर खुशी हुई। भारत-अमेरिका के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी ने प्रौद्योगिकी, रक्षा, अंतरिक्ष, जैव प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आदि क्षेत्रों में नई ऊंचाइयों को छुआ है। हम नागरिकों के लाभ और वैश्विक भलाई के लिए दोनों लोकतंत्रों के बीच संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं।

 



इससे पहले सुबह सुलिवन ने विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात की। जयशंकर ने बाद में बताया कि द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक सहयोग को मजबूत करने की चर्चाओं को आगे बढ़ाया। हम पिछले चार वर्षों में खुले मन से वार्ता को महत्व देते हैं। हम दोनों देशों के बीच करीबी और मजबूत साझेदारी बनाने में सुलिवन के निजी योगदान की सराहना करते हैं। 

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