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फ्यूजन वेडिंग्स का नया चलन : प्यार ने मिटाईं सरहदें, दो दिल-दो कल्चर पर एक ही जश्न

भारतीय प्रवासी और अमेरिकी पार्टनर्स के बीच फ्यूजन वेडिंग्स एक लोकप्रिय चलन बन गया है। ये शादियां महज दो लोगों का मिलन नहीं, बल्कि दो संस्कृतियों का खूबसूरत मेल है, जो प्यार, पहचान और विरासत को एक साथ जोड़ती हैं।

भारतीय शादियां अपनी धूमधाम के लिए मशहूर हैं।  / Freepik

जब प्यार सरहदें पार कर जाता है, तो बस दो दिलों का मिलन ही नहीं होता। दोनों के कल्चर का भी एक बेहतरीन जश्न बन जाता है। भारतीय प्रवासियों में अमेरिकन पार्टनर्स से शादी करने का चलन काफी बढ़ रहा है। इन 'फ्यूजन वेडिंग्स' में भारतीय रीति-रिवाजों की धूम-धाम और वेस्टर्न स्टाइल की सादगी और खूबसूरती, दोनों एक साथ दिखती हैं। ये रंग-बिरंगे समारोह सिर्फ दो लोगों को ही नहीं जोड़ते। ये प्यार, पहचान और विरासत की एक ऐसी खूबसूरत कढ़ाई बनाते हैं, जो भारतीय दर्शन के विविधता में एकता का जश्न मनाती है। 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

विवाह लग्जरी वेडिंग्स के संस्थापक मोहसिन बताते हैं कि दोनों कल्चर का सम्मान करना बहुत जरूरी है। दो अलग-अलग परंपराओं को मिलाकर एक अनोखा जश्न बनाया जा सकता है, जो दोनों परिवारों को दिखाए। हम दोनों तरफ के लोगों से मिलकर उनकी उम्मीदें समझते हैं और परंपराओं को मिलाने के क्रिएटिव तरीके ढूंढ़ते हैं।'

भारतीय शादियां अपनी धूमधाम के लिए मशहूर हैं। कई दिनों तक चलने वाले फंक्शन, रंग-बिरंगे कपड़े, मेहंदी-संगीत जैसे खास रस्मों की धूम रहती है। दूसरी तरफ, अमेरिकन शादियां आमतौर पर एक दिन की होती हैं। इसमें वादे, अंगूठियां और एक छोटा सा रिसेप्शन होता है। ये कल्चरल फर्क गहरे मूल्यों को दिखाते हैं। भारतीय शादियों में पारिवारिक रिश्तों और धार्मिक रस्मों को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। अमेरिकन शादियों में निजी पसंद और कम खर्च पर जोर होता है।

फ्यूजन वेडिंग्स इन अलग-अलग कल्चरल तत्वों को एक साथ लाते हैं। इससे एक ऐसा जश्न बनता है जो महत्वपूर्ण भी है और सबको साथ लेकर चलने वाला भी। मोहसिन कहते हैं, 'हमारा मकसद एक ऐसा विजन बनाना है जो दोनों कल्चर का सम्मान करे और महत्वपूर्ण परम्पराओं को शामिल करे।'

उदयपुर की डेस्टिनेशन वेडिंग प्लानिंग कंपनी 'बिहाइंड द सीन' के को-फाउंडर वैभव साधवानी एक इंडियन-रशियन शादी के आयोजन के यादगार अनुभव को शेयर करते हुए बताते हैं कि रूस के रोमन और गुजराती भारतीय हविषा ने अपनी शादी के लिए उदयपुर चुना। साधवानी बताते हैं, 'भारतीय संस्कृति में शादी सिर्फ दो लोगों की नहीं होती, बल्कि दो परिवारों के मिलन के लिए होती है।'

दोनों कल्चर का सम्मान करने के लिए पंडित जी ने मंत्र हिंदी, अंग्रेजी और रूसी में बोले। रूसी में कसमें सुनकर रोमन के परिवार की आंखें छलक आईं। ये पल बेहद भावुक और यादगार बन गया। भाषाओं और रीति-रिवाजों का ये संगम दिखाता है कि कैसे शादियां कल्चरल फर्क को पाट सकती हैं और विविधता का जश्न मना सकती हैं। 

क्या हैं मुश्किलें?

फ्यूजन वेडिंग्स में कुछ मुश्किलें भी आती हैं। जैसे अलग-अलग धार्मिक रस्में, परिवार की उम्मीदें और भाषा की दिक्कतें। भारतीय परिवार अक्सर सामूहिक फैसले लेने और करीबी पारिवारिक रिश्तों को प्राथमिकता देते हैं, जो अमेरिकी घरों में आम तौर पर देखे जाने वाले व्यक्तिगत दृष्टिकोण से अलग है।

जश्न का पैमाना भी अलग होता है। भारतीय शादियां बहुत बड़े आयोजन होते हैं, जिसमें मेहमानों की लम्बी लिस्ट होती है।अमेरिकी शादियां ज्यादा निजी होती हैं। खाने में भी कल्चरल फर्क दिखता है। भारतीय शादियों में अलग-अलग रीजनल डिशेज होती हैं। अमेरिकन शादियों में स्टेक या चिकन जैसे विकल्पों के साथ प्लेटेड मील होते हैं।

इन फर्क को मैनेज करने के लिए सहानुभूति और लचीलापन बहुत जरूरी है। साधवानी कहते हैं, 'हम ऐसे ट्रांसलेटर्स रखते हैं जो दोनों भाषाएं जानते हों। जिससे बातचीत आसानी से हो सके। हमारा लक्ष्य ऐसा माहौल बनाना है जिसमें दोनों कल्चर एकदम आसानी से मिल जाएं।'

डेस्टिनेशन वेडिंग्स

भारतीय मूल के लोग जब अमेरिकन पार्टनर्स से शादी करते हैं, तो भारत में डेस्टिनेशन वेडिंग्स कल्चर को जोड़ने का एक अनोखा मौका देते हैं। ये शादियां सिर्फ प्यार का जश्न ही नहीं होतीं, बल्कि कल्चरल अनुभव भी होती हैं। राजस्थान के शाही महलों से लेकर गोवा के शांत बीचों पर होने वाले फंक्शन तक, भारत में ऐसी कई खूबसूरत जगहें हैं जहां परंपरा और आधुनिकता का बेहतरीन मेल दिखता है।

जैसा कि मोहसिन बताते हैं, 'खासकर भारत में डेस्टिनेशन वेडिंग्स परिवारों को अपनी जड़ों से जोड़ने और अपने पार्टनर के परिवार को भारत की रंगीन विरासत से परिचित कराने का मौका देती हैं। ये दो कल्चरों के बीच एक पुल का काम करती हैं, जिससे आपसी सम्मान और समझदारी बढ़ती है।'

फ्यूजन वेडिंग्स प्यार और कल्चरल इंटीग्रेशन की ताकत की एक खूबसूरत मिसाल हैं। ये सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं हैं, बल्कि विविधता का जश्न है। जहां फर्क को गले लगाया और मनाया जाता है। परंपराओं को मिलाकर, पारिवारिक मूल्यों का सम्मान करके और समानताएं ढूंढ़कर ऐसी यादें बनाती हैं जो सरहदें पार कर जाती हैं।

 

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