सीनियर रिसर्च स्कॉलर डॉ. महेंद्र काबरा वर्ल्ड कांग्रेस रिसर्च पाने वाले पहले भारतीय बने डॉक्टर बन गये हैं। पुरानी और चुनौतीपूर्ण बीमारियों के हजारों रोगियों का सुरक्षित और टिकाऊ तरीके से इलाज कर डॉ. काबरा ने यह उपलब्धि हासिल की है। भारत में महाराष्ट्र राज्य के जलगांव शहर में उन्होंने चार दशकों के दौरान चुनौतीपूर्ण बीमारियों पर शोधपरक काम किया है और पीड़ितों के जीवन की दशा-दिशा बदली है।
विश्व होम्योपैथिक कांग्रेस, इटली से अनुसंधान पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय डॉक्टर हैं महेंद्र काबरा। एशिया बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स की ओर से डॉक्टर ऑफ द ईयर के रूप में भी डॉ. काबरा को सम्मानित किया गया है। डॉ. काबरा ने पिछले 40 वर्षों में एक लाख विटिलिगो/ल्यूकोडर्मा और 15 हजार सोरायसिस रोगियों का इलाज किया है।
अपनी बीमारियों से मुक्ति पा चुके कई लोग उन्हे 'टोटल हेल्थ गुरु' कहने लगे हैं। डॉ, काबरा का परामर्श विहार-आचार-विचार की अवधारणा पर केंद्रित है। डॉ. काबरा का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति नियमबद्ध रूप से आचरण करे तो वह बगैर किसी दवाई या कम से कम इलाज में स्वस्थ जीवन जी सकता है।
दिलचस्प बात यह है कि 61 वर्ष की उम्र में डॉ. काबरा 180 किलो वजन उठा सकते हैं। उन्होंने खुद अपना 25 किलो वजन कम किया है और बीते 30 वर्षों से उसे बरकरार रखे हुए हैं।
डॉ. काबरा का विश्वास है कि जिस जानकारी का उपयोग किया जा रहा है वह ज्ञान बन जाती है। वे समाज को मजबूत और स्वस्थ बनाने के लिए अपने शोध के साथ ही अनुभव भरी साधारण जीवन शैली की सलाह देते हैं।
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