हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक का व्यक्तित्व जितना सरल है, उतना ही गहरा उनका हुनर है। उनके शरीर की बनावट भले ही विशाल न लगे, लेकिन उनकी प्रतिभा का दायरा बेहद विशाल है। वे न केवल एक हरफनमौला कलाकार हैं, बल्कि अपने-अपने क्षेत्र में माहिर भी।
जहां एक ओर उन्हें अपने पिता से हॉकी की शानदार ड्रिबलिंग का हुनर विरासत में मिला है, वहीं संगीत उनके लिए किसी जन्मजात उपहार की तरह है। उनकी आवाज में ऐसा असर है कि सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाए।
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वे खेल, कला और संगीत – तीनों क्षेत्रों में अपनी अलग छाप छोड़ चुके हैं। यह बहुआयामी व्यक्तित्व आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। उनका जीवन यह संदेश देता है कि एक इंसान कई दुनियाओं में चमक सकता है, अगर उसमें जुनून और समर्पण हो।
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