विश्व गतका महासंघ के महासचिव और अंतर्राष्ट्रीय पारंपरिक खेल एवं खेल परिषद (ICTSG) के प्रतिनिधि डॉ. दीप सिंह ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक कार्यालय (UNOCT) और रॉन्डिने चित्तादेला देल्ला पाचे द्वारा आयोजित एक विशेषज्ञ बैठक में भाग लिया। यह बैठक 20 मार्च 2025 को ऑनलाइन आयोजित की गई, जिसका मुख्य विषय था – "रॉन्डिने मेथड द्वारा खेलों के माध्यम से संघर्ष समाधान और आतंकवाद की रोकथाम"।
"खेलों के ज़रिए चरमपंथ को जवाब"
डॉ. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पारंपरिक युद्ध कलाएं, जैसे कि गतका, केवल आत्मरक्षा या खेल नहीं हैं, बल्कि ये शांति, सहनशीलता और मानसिक मजबूती का माध्यम भी हैं। उन्होंने कहा, "खासतौर पर युवाओं को सकारात्मक दिशा देने और उन्हें हिंसक विचारधाराओं से दूर रखने में पारंपरिक खेलों की अहम भूमिका है।"
UNOCT के इस ब्रीफिंग कार्यक्रम में दुनिया भर से खेल महासंघों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, शिक्षा क्षेत्र और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
रॉन्डिने मेथड और वैश्विक संवाद
इस सत्र की शुरुआत UNOCT के ग्लोबल स्पोर्ट्स प्रोग्राम के समन्वयक वालेरियो दे दिवीतिस के उद्घाटन भाषण से हुई। रॉन्डिने की इंटरनेशनल ऑफिस प्रमुख वलेनटीना ब्रोक्की ने ‘रॉन्डिने मेथड’ के मूल सिद्धांतों को समझाया, जबकि UNOCT के अधिकारी थैडियस बार्कर-मिल ने समापन वक्तव्य दिया।
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विशेषज्ञ वक्ताओं में मजदी अब्दल्लाह (Sport for Education प्रोजेक्ट, अलमुतरान क्लब) और डॉरकस अमाकोबे (Moving the Goalposts संस्था) शामिल थे। इन्होंने बताया कि कैसे खेलों को शिक्षा, सामाजिक संवाद और आतंकवाद निरोधक कार्यक्रमों से जोड़ा जा सकता है।
गति से परे: गतका का सामाजिक पक्ष
डॉ. सिंह ने ज़ोर देकर कहा कि गतका सिर्फ एक पारंपरिक सिख मार्शल आर्ट नहीं है, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास का जरिया है। उन्होंने बताया कि आज गतका को भारत से लेकर यूरोप और अमेरिका तक एक वैश्विक पहचान मिल रही है।
उनके अनुसार, "पारंपरिक खेल समुदायों को जोड़ते हैं, और यह सामाजिक सौहार्द और शांति का प्रभावी माध्यम बन सकते हैं।"
एक वैश्विक मंच पर ऐतिहासिक भागीदारी
UNOCT की इस ब्रीफिंग में डॉ. दीप सिंह की भागीदारी, गतका और अन्य पारंपरिक खेलों को वैश्विक मंच पर सम्मान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। उनकी अगुवाई में आज पारंपरिक खेल, आधुनिक समस्याओं के समाधान और चरमपंथ से लड़ाई में नई उम्मीद बनकर उभर रहे हैं।
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