भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कुछ ही दिन पहले जब राष्ट्रपति ट्रम्प से मिलने और वार्ता करने के लिए वॉशिंगटन पहुंचे थे तो एक बड़ी सियासी खुशी से लबरेज थे। उनके नाम पर उनकी पार्टी ने भारत की सियासत में उनके सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अरविंद केजरीवाल की सत्ता को कुछ ही रोज पहले देश की राजधानी से उखाड़ फेंका था। सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी इसलिए क्योंकि करीब 11 साल के शासन में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने मोदी की भाजपा को दिल्ली की राजनीति में हर मोर्चे पर शिकस्त दी। इसलिए, बेशक केजरीवाल की सत्ता से बेदखली ने तीन बार के मुख्यमंत्री और तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने मोदी को मन से खुश किया होगा। उसी खुशी का उत्साह दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में 20 फरवरी को दिखलाई पड़ा जो भव्य तरीके से राजधानी के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में आयोजित किया गया था। समारोह में मंत्री से लेकर संतरी, आम से लेकर खास और समाज के निचले तबके से लेकर शोहरत की बुलंदियां छूने वाले लोग शामिल हुए थे। शपथ समारोह का भव्य आयोजन और उसकी गूंज केवल दिल्ली तक सीमित नहीं थी। आयोजन के बहाने भाजपा ने पूरे देश में अपनी मजबूती का संदेश दिया और दिल्ली फतह से मोदी ने दुनिया को यह पैगाम दिया है कि देश की सियासत में उनका करिश्मा बरकरार है और दुनिया के हालात बदलने का कौशल उनके पास है।
मोदी के सियासी कौशल का नमूना हाल की उनकी अमेरिका यात्रा के दौरान भी देखने को मिला। ट्रम्प-मोदी वार्ता से पहले मीडिया में कई मुद्दों पर जिस टकराव की आशंका व्यक्त की जा रही थी मोदी के राजनीतिक कौशल से वैसा कुछ भी न हो सका। बल्कि शीर्ष नेताओं की मुलाकात कुछ नये अध्याय लिखते हुए अधिक उपलब्धि और आशावाद के साथ सम्पन्न हुई। मोदी-ट्रम्प की मित्रता को एक बार फिर पूरी दुनिया ने देखा। दिल्ली से लकर दुनिया तक मोदी की सियासी सफलता का एक मंत्र यह भी रहा है कि खुद को लचीला रखते हुए मोर्चे पर डटे रहना है। वसुधैव कुटुम्बकम के उद्घोष के साथ दुनिया में शांति स्थापना का उनका संकल्प धीरे-धीरे धरती पर आकार ले रहा है। बरसों से चल रहा रूस-यूक्रेन युद्ध समापन की ओर है। यकीनन इन स्थितियों को बनाने में अमेरिका की अहम भूमिका रही है, खास तौर से राष्ट्रपति ट्रम्प की।
जहां तक दिल्ली में चुनावी जीत का प्रश्न है तो प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पार्टी जीत के लिए लगातार हाथ-पैर मार रही थी। लेकिन लगता है कि निकाय चुनाव में अपने खराब प्रदर्शन के बाद भाजपा और इसके शीर्ष नेतृत्व ने आक्रामक राजनीति करते हुए सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और उसके आला नेताओं पर लगातार हमला किया। हालांकि केजरीवाल की पार्टी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे, उन्हे जेल में भी डाला गया किंतु इसके बाद कुछ साबित तो नहीं हो सका अलबत्ता दिल्लीवालों के मानस में सत्ता परिवर्तन की बात घर कर गई। जीत की खातिर डटे रहने का मोदी का फॉर्मूला काम कर गया। दिल्ली की जीत से पार्टी नए सिरे से जोश में है। देश-दुनिया में अपनी सियासत का डंका बजाने वाले मोदी अब दिल्ली में अपनी पार्टी की सरकार बनाकर विश्व नेता के पथ पर गर्व के साथ निकलेंगे।
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