भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सकारात्मक क्षमता अद्भुत है, लेकिन इसमें कई पूर्वाग्रह भी हैं जिनके बारे में हमें सावधानी से सोचने की जरूरत है। यह बात उन्होंने पेरिस में एआई एक्शन समिट में उद्घाटन भाषण में कही।
इस दौरान फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनएल मैक्रो के कार्यालय ने बताया कि अगली एआई समिट भारत में होगी। इस पर पीएम मोदी ने कहा कि हमें एआई के लिए वैश्विक साझेदारी को भी वास्तव में वैश्विक स्वरूप देना होगा। इसमें ग्लोबल साउथ और उसकी प्राथमिकताओं, चिंताओं और जरूरतों को अधिक समावेशी बनाया जाना चाहिए। पेरिस एक्शन समिट की गति को आगे बढ़ाने के लिए भारत को अगले समिट की मेजबानी करने में खुशी होगी।
इससे पहले पीएम मोदी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पहले से ही हमारी राजनीति, हमारी अर्थव्यवस्था, हमारी सुरक्षा और यहां तक कि हमारे समाज को नया आकार दे रहा है। एआई इस सदी में मानवता के लिए कोड लिख रहा है। लेकिन यह मानव इतिहास में अन्य प्रौद्योगिकी उपलब्धियों से बहुत अलग है।
Addressing the India-France CEO Forum in Paris. https://t.co/S9GWeDS9My
— Narendra Modi (@narendramodi) February 11, 2025
पीएमओ की तरफ से जारी रिलीज के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अभूतपूर्व पैमाने और गति से विकसित हो रहा है। इसे बेहद तेज़ी से अपनाया जा रहा है। यह सीमाओं में नहीं बंधा है। ऐसे में शासन और मानक स्थापित करने के लिए ऐसे सामूहिक वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है जो हमारे साझा मूल्यों को बनाए रखें, जोखिमों से निपटे और भरोसा बनाए रखें।
उन्होंने कहा कि शासन का मतलब सभी के लिए पहुंच सुनिश्चित करना भी है, खासतौर से ग्लोबल साउथ में। यह वह जगह है जहां क्षमताओं की सबसे अधिक कमी है, चाहे कंप्यूटिंग शक्ति हो, प्रतिभा हो, डेटा हो या वित्तीय संसाधन हों।
पीएम मोदी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और ऐसी बहुत सी चीजों में सुधार करके लाखों लोगों के जीवन को बेहतर करने में मदद कर सकता है। यह एक ऐसी दुनिया बनाने में मदद कर सकता है जिसमें सतत विकास लक्ष्यों को तेजी और आसानी से हासिल किया जा सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसा करने के लिए हमें संसाधनों और प्रतिभाओं को एक साथ लाना होगा। हमें ओपन-सोर्स प्रणाली विकसित करने होगी ताकि विश्वास और पारदर्शिता बढ़ सके। हमें पूर्वाग्रहों से मुक्त गुणवत्ता वाले डेटा सेट बनाने होंगे। प्रौद्योगिकी को सबके लिए सुलभ करना चाहिए और जन केंद्रित एप्लिकेशन बनाना चाहिए। इसके अलावा हमें साइबर सुरक्षा, गलत सूचना और डीप फेक से जुड़ी चिंताओं को दूर करना चाहिए। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रौद्योगिकी स्थानीय प्रणाली में निहित हो ताकि यह प्रभावी और उपयोगी हो सके।
इस दौरान पीएम मोदी ने नौकरियों पर एआई के प्रभाव की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि नौकरियों का नुकसान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सबसे भयावह पक्ष है। लेकिन इतिहास बताता है कि प्रौद्योगिकी के कारण काम खत्म नहीं होता है। बस प्रकृति बदलती है और नए प्रकार की नौकरियां पैदा होती हैं। हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस भविष्य के लिए लोगों को स्किल और रीस्किल करने में निवेश करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युग की शुरूआत में हैं जो मानवता की दिशा को आकार देगा। कुछ लोगों को बुद्धिमत्ता में मशीनों को इंसानों से बेहतर होने की चिंता है। लेकिन हमारे सामूहिक भविष्य और साझा नियति की कुंजी हम इंसानों के अलावा किसी और के पास नहीं है। जिम्मेदारी की उस भावना को हमारा मार्गदर्शन करना चाहिए।
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