l नवरेह: जानें देवी शारिका की पूजा से लेकर खास कश्मीरी पकवान की पूरी कहानी

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नवरेह: जानें देवी शारिका की पूजा से लेकर खास कश्मीरी पकवान की पूरी कहानी

कश्मीर घाटी में बसंत के आगमन का जश्न है नवरेह, कश्मीरी पंडितों का नववर्ष। देवी शारिका की कृपा और नई शुरुआतों की उम्मीदों के साथ मनाया जाने वाला यह त्योहार, रंगों, रस्मों और स्वादिष्ट कश्मीरी व्यंजनों से सराबोर है। आइए जानते हैं इस खास त्योहार की अनोखी कहानी...

नवरेह के दिन कश्मीरी पंडित नए कपड़े पहनते हैं, खास पकवान बनाते हैं और रिश्तेदारों व दोस्तों से मिलते हैं। / Wikipedia/Shivansh ganjoo

कश्मीरी पंडित बड़े उल्लास के साथ नवरेह (कश्मीरी हिंदू नववर्ष) मनाते हैं। यह त्योहार देवी शारिका को समर्पित होता है। इन्हें कश्मीर की देवी और रक्षक माना जाता है। देवी शारिका की पूजा श्रीनगर के हरि पर्वत (शारिका पीठ) पर की जाती है। इस मौके पर श्रद्धालु देवी से स्वास्थ्य, सफलता और शांति की कामना करते हैं। वे श्लोक और वैदिक मंत्रों का पाठ करते हैं ताकि जीवन में बुद्धि और सुरक्षा बनी रहे।

नवरेह का त्योहार मौसम के बदलाव का भी प्रतीक है। यह कश्मीर की कड़ी सर्दियों से निकलकर रंगीन और चहकते बसंत के स्वागत का समय है – यानी प्रकृति के नए जीवन का जश्न। कश्मीरी पंडित अपने घरों को गंगाजल से शुद्ध करते हैं और दीप जलाते हैं ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।

नवरेह से एक दिन पहले परिवार का पुजारी एक धार्मिक पंचांग या नेचीपत्रा लाता है, जिसमें आने वाले साल की ज्योतिषीय जानकारी होती है। यह समय ध्यान, नए काम शुरू करने और सही मार्गदर्शन पाने के लिए शुभ माना जाता है।

इस दिन एक पारंपरिक थाली सजाई जाती है। जिसमें चावल, पंचांग (नेचीपत्र), ताजे और सूखे फूल, दूध, दही, नई घास, वाय (एक कड़वी जड़ी-बूटी), अखरोट, कलम, दवात, कागज, सिक्के, नमक, पका हुआ चावल, रोटी, शहद और एक छोटा आइना रखा जाता है। मान्यता है कि चावल और सिक्के रोजी-रोटी और समृद्धि का प्रतीक हैं। कलम और कागज पढ़ाई और ज्ञान की इच्छा और आइना आत्मचिंतन का प्रतीक है। कड़वी जड़ी-बूटी जीवन के कड़वे अनुभवों का संकेत देती है।

नवरेह के दिन कश्मीरी पंडित नए कपड़े पहनते हैं, खास पकवान बनाते हैं और रिश्तेदारों व दोस्तों से मिलते हैं।

खास पकवान

इस खास मौके पर कई पारंपरिक कश्मीरी पकवान – दम आलू (मसालेदार आलू), मोदुर पुलाव (मीठा केसरिया चावल), ताहर (हल्दी और घी वाला पीला चावल), और नद्रू यखनी (दही की ग्रेवी में कमल ककड़ी) बनाए जाते हैं । इनमें सबसे लोकप्रिय डिश है कश्मीरी पुलाव। यहां इसकी आसान रेसिपी दी गई है –

4 कप बासमती चावल
चीनी
½ कप घी
साबुत इलायची, लौंग, काली मिर्च, दालचीनी और तेजपत्ता
1 छोटा चम्मच केसर
1 कप बादाम (छिले और कटे), किशमिश, सूखे नारियल के टुकड़े और सूखे खजूर
¾ कप मिश्री (अगर चाहें तो)

बनाने का तरीका :

चावल को धोकर पानी निकाल लें और अलग रख दें। एक बड़े पैन में करीब 16 कप पानी उबालें। इसमें चावल डालें। जब पानी अच्छे से उबल जाए और चावल करीब ¾ पक जाए, तो पानी छानकर चावल अलग रख लें। केसर को थोड़े से पानी या दूध में भिगोकर मसल लें।

अब एक कढ़ाई में घी गरम करें, उसमें सारे साबुत मसाले (केसर छोड़कर) डालें। मसाले भुन जाएं तो उसमें चीनी डालें, और ½ से ¾ कप पानी डालें। इसे उबालें, जिससे एक गाढ़ा सिरप बन जाए। अब इसमें सारे सूखे मेवे डालें। थोड़ा चलाएं और उसमें उबला हुआ चावल डाल दें। धीरे-धीरे मिलाएं ताकि सिरप और मेवे चावल में अच्छे से मिल जाएं। अब केसर का पानी डालें। अगर आप चाहें तो रंग के लिए केसर को सिरप में ही डाल सकते हैं। आखिर में मिश्री भी डाल सकते हैं (ये आपकी पसंद पर है)।

ढक्कन लगाकर धीमी आंच पर एक घंटे तक पकाएं। पकने के बाद चावल के दाने हल्के से अलग करें। फिर गरमा-गरम मेहमानों को परोसें।

नवरेह की शुभकामनाएं।

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