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प्रवासी भारतीय दिवस : जड़ों से जुड़ने और संबंधों का उत्सव

बीता सप्ताह अगर प्रवासी भारतीय दिवस के नाम रहा तो यह सप्ताह और करीब डेढ़ महीना 'महाकुंभ' के नाम रहने वाला है जहां आध्यात्मिक तृत्पि के लिए दुनिया के कोने-कोने से संत-महात्मा, धर्म ज्ञानी, परंपराओं के वाहक और पर्यटकों का समागम जोर पकड़ रहा है।

प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान एक कार्यक्रम। भारत का विदेश मंत्रालय यह आयोजन 8 से 10 जनवरी के बीच करता है। / X@PBD India

पिछले सप्ताह के तीन दिन (8-10 जनवरी) दुनियाभर में प्रवासी भारतीय दिवस की धूम रही। इस बार यह वार्षिक आयोजन पूर्वी भारतीय राज्य ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में किया गया जहां तीन दिनों तक विश्व भर में बसे भारतीय मूल से जुड़े प्रवासियों का 'संगम' हुआ। अपनी जड़ों से जुड़ने, संबंधों का उत्सव मनाने, भारत की प्रगति को जानने और इसमें प्रवासियों के योगदान की शिनाख्त करने वाला यह उत्सव बीतें कुछ वर्षों से विकसित होते भारत की सांस्कृतिक शक्ति का आईना बन चुका है। पूरी दुनिया में बसे हजारों प्रवासी इस आयोजन के लिए जनवरी माह में भारत का रुख करते हैं और सांस्कृतिक झांकी का साक्षी बनते हैं। जो प्रवासी भारत नहीं आ पाते वे भी मीडिया और अन्य सरकारी-गैर-सरकारी प्रयासों के माध्यम से परोक्ष रूप से इस वैश्विक उत्सव से जुड़ाव महसूस करते हैं। बीते कुछ बरसों में एक अहम बात यह हुई है कि थोड़े-थोड़े अंतराल पर अब भारत किसी आयोजन या मुद्दे के बहाने वैश्विक मीडिया में जगह पाता है। बीता सप्ताह अगर प्रवासी भारतीय दिवस के नाम रहा तो यह सप्ताह और करीब डेढ़ महीना 'महाकुंभ' के नाम रहने वाला है जहां आध्यात्मिक तृत्पि के लिए दुनिया के कोने-कोने से संत-महात्मा, धर्म ज्ञानी, परंपराओं के वाहक और पर्यटकों का समागम जोर पकड़ रहा है। महाकुंभ की शुरुआत सोमवार (13 जनवरी) से हो रही है जिसमें भारत सहित अन्य देशों से 40 करोड़ लोगों के तीर्थनगरी प्रयागराज पहुंचने का अनुमान है।

बहरहाल, जहां तक 18वें प्रवासी भारतीय दिवस के आयोजन का सवाल है तो इसने बीते 10 वर्षों में खासी ख्याति और पहचान अर्जित की है। इसका आयोजन हर वर्ष भारत के किसी राज्य की राजधानी या प्रमुख शहर में भारत सरकार द्वारा किया जाता है। पिछले वर्ष यह आयोजन मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में किया गया था। बीते बरसों की तरह इस बार भी प्रवासी भारतीय दिवस में मॉरीशस, मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका से मंत्री स्तरीय प्रतिनिधिमंडल और मलेशिया, मॉरीशस, ओमान, कतर, यूएई, यूके और अमेरिका सहित कई देशों से प्रवासी भारतीयों के बड़े प्रतिनिधिमंडल शामिल हुए। तीन दिन के आयोजन में पांच पूर्ण सत्र हुए जिनकी अध्यक्षता केंद्रीय मंत्रियों ने की और अपने-अपने क्षेत्रों के प्रतिष्ठित भारतीयों ने इन सत्रों का संचालन किया। कार्यक्रम को त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू ने वर्चुअली संबोधित किया। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्सव का औपचारिक उद्घाटन करने के साथ ही प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस (ट्रेन) को हरी झंडी दिखाई। यह प्रवासी भारतीयों के लिए स्पेशल टूरिस्ट ट्रेन है जो देश की राजधानी दिल्ली से चलकर तीन सप्ताह भारत के विभिन्न पर्यटन स्थलों तक मेहमानों को ले जाएगी और देश के विकास-क्रम से परिचित कराएगी। विदेश मंत्रालय की प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना के तहत इसका संचालन किया जा रहा है। आयोजन के विस्तार का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार 70 देशों से 3 हजार से ज्यादा प्रतिनिधि ओडिशा पहुंचे।

इस बार के आयोजन का विषय 'विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों का योगदान' है। इसीलिए उत्सव के उद्घाटन अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रवासी भारतीयों की शक्ति और उपलब्धियों को विशेष तौर पर रेखांकित किया। उनके दिलों में धड़कते भारत का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने अपनाई गई धरती को अपना बनाने, उसकी तरक्की में अपने विकास का परचम लहराने और भारत की विविधता व समावेशन को भारतीयों की पहचान बताया।  

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