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प्रवासी भारतीयों से आग्रह और आकांक्षा

भारतवंशियों की नई पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़े और अपनी विरासत और परंपराओं से परिचित हो सके इसके विविध जतन हो रहे हैं। इसी क्रम में भारत के प्रधानमंत्री ने एक और पहल की है- भारत को जानिए। यह पहल एक क्विज यानी प्रश्नोत्तरी के माध्यम से की गई है। 

पिछले दिनों ब्राजील यात्रा के दौरान पीएम मोदी। / X@narendramodi

मोटे तौर पर बीते एक दशक में यह तो हुआ है कि प्रवासी भारतीयों की उपलब्धियां, अपनाई गई धरती पर उनकी चुनौतियां और संघर्ष तथा राग-रंग मुख्यधारा की खबरों का हिस्सा बनने लगे हैं। मीडिया इस सब की कवरेज में हिस्सेदारी बढ़ी है। कोई एक या डेढ़ दशक पहले मीडिया में इस वर्ग से जुड़ी खबरों का प्रवाह इतना नहीं था। जिस तरह अंतरराष्ट्रीय मानचित्र में भारत की स्थिति मजबूत हुई है उसी क्रम में भारतवंशियों की उपस्थिति को भारतीय व अन्य देशों के मीडिया में प्रमुखता मिलने लगी है। इसका बहुत-कुछ श्रेय भारत के वर्तमान सत्ता प्रतिष्ठान को जाता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीति और राजनीति अपने देश के अलावा विदेशों के लिहाज से भी दबदबे वाली रही है। भारत सरकार ने विदेश नीति के व्यावहारिक पहलू में प्रवासियों को ऊपर रखा है। बीते कई वर्षों में, खास तौर से प्रधानामंत्री मोदी की विदेश यात्राओं में, प्रवासी भारतीयों को तवज्जो मिलती है। आधिकारिक दौरों में अपने प्रवासी वर्ग के मद्देनजर मेल-मिलाप के कार्यक्रम निर्धारित रहने लगे हैं। भारतवंशियों की नई पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़े और अपनी विरासत और परंपराओं से परिचित हो सके इसके विविध जतन हो रहे हैं। इसी क्रम में भारत के प्रधानमंत्री ने एक और पहल की है- भारत को जानिए। यह पहल एक क्विज यानी प्रश्नोत्तरी के माध्यम से की गई है। 

प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय प्रवासियों और अन्य देशों के दोस्तों से भारत को जानिए प्रश्नोत्तरी में भाग लेने का आग्रह किया है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में उनका कहना है कि यह प्रश्नोत्तरी भारत और दुनिया भर में इसके प्रवासी भारतीयों के बीच जुड़ाव को गहराई प्रदान कर सकती है और यह हमारी समृद्ध विरासत और जीवंत संस्कृति को फिर से खोजने का एक शानदार तरीका भी है। कुल मिलाकर भारतवंशियों से संवाद करने की यह पीएम मोदी की शैली भी है। यूं भारत के अन्य प्रधानमंत्री और प्रतिनिधि भी प्रवासियों से स्वदेश के जुड़ाव का आग्रह करते रहे हैं लेकिन मोदी के आग्रह महज मंचीय आह्वान नहीं लगते, वे एक योजना का हिस्सा दिखते हैं। और जब कोई काम योजना अथवा नीति के तहत किया जाता है तो उसका असर होता है। इस तरह के कार्यक्रमों के सिलसिले संवाद के साथ-साथ संबंध भी स्थापित करते हैं। करीब एक महीने तक चलने वाली प्रश्नोत्तरी की यह पहल भी ऐसा ही एक जतन है जिसके पीछे की आकांक्षाएं स्पष्ट हैं। यह राजनीति का हिस्सा भी हो सकता है लेकिन जुड़ाव का एक प्रभावशाली तरीका तो है ही। 

तमाम देशों की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने प्रवासियों के प्रति जो प्रथामिकता दर्शायी है वह उनके गर्मजोश स्वागत-सत्कार में लोगों की उत्सुकता के रूप में झलकती है। विदेश में बसे लोग अब भारत के प्रधानमंत्री से मिलने और उन्हे देखने, उनसे हाथ मिलाने को लालायित रहते हैं। प्रवासी हुजूम में बच्चों और महिलाओं की बड़ी भागीदारी साबित करती है कि हर वर्ग में अपनी धरती और अपने लोगों को जानने-समझने की तरंग गतिमान है। होली-दिवाली जैसे भारत के प्रमुख त्योहार ही नहीं भारतीय समुदायों के क्षेत्रीय उत्सव भी टाइम्स स्क्वायर पर रौनक बिखेरने लगे हैं। अमेरिका में छठ और प्रकाश पर्व जैसे पारंपरिक उत्सव स्थानीय वासियों की भागीदारी से जुड़ाव के नये सेतु बन रहे हैं।

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