l वैश्विक असमानता पर रिसर्च के लिए प्रो. बीना अग्रवाल को खास अवार्ड

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वैश्विक असमानता पर रिसर्च के लिए प्रो. बीना अग्रवाल को खास अवार्ड

बीना अग्रवाल ग्लोबल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (GDI) में डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स एंड एनवायरनमेंट की प्रोफेसर हैं।

पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर थॉमस पिकेटी ने बीना अग्रवाल को पुरस्कार प्रदान किया / Image provided

भारतीय मूल की प्रोफेसर बीना अग्रवाल को पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और साइंसेज पो के सेंटर फॉर रिसर्च ऑन सोशल इनइक्वालिटीज़ (CRIS) की तरफ से पहला ग्लोबल इनइक्वालिटी रिसर्च अवार्ड (GiRA) प्रदान किया गया है। 

बीना अग्रवाल ग्लोबल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (GDI) में डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स एंड एनवायरनमेंट की प्रोफेसर हैं। उन्हें साल 2024 का यह पुरस्कार अर्थशास्त्री जेम्स के. बॉयस के साथ संयुक्त रूप से दिया गया है। 

यह पुरस्कार सामाजिक और पर्यावरणीय असमानताओं पर उनके अग्रणी कार्यों के लिए प्रदान किया दिया गया है। हर दो साल में दिया जाने वाला GiRA अवॉर्ड ऐसे विद्वानों को सम्मानित करता है जिन्होंने वैश्विक असमानताओं की समझ बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो।  ये भी देखें - भारतवंशी प्रोफेसर मेनका हम्पोल को अर्ली करियर रिसर्च अवॉर्ड

पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और असमानता के प्रमुख विशेषज्ञ थॉमस पिकेटी ने यह पुरस्कार प्रदान किया। बीना अग्रवाल को मेसोपोटामिया के सबसे पुराने ज्ञात स्कूल टैबलेट की प्रतीकात्मक प्रतिकृति प्रदान की गई। असल टैबलेट इस वक्त में लौवर म्यूजियम में रखी है।

पेरिस में आयोजित समारोह में बीना अग्रवाल ने हिडन इनइक्वालिटीज़, विजिबल आउटकम्स: ए जेंडर लेंस शीर्षक से व्याख्यान भी दिया। यह वर्ल्ड इनइक्वालिटी लैब की इक्वालिटी डिबेट्स सीरीज का हिस्सा था। 

प्रो बीना अग्रवाल लैंगिक असमानता, पर्यावरण प्रशासन और नारीवादी अर्थशास्त्र पर व्यापक शोध के लिए चर्चित हैं। उनकी प्रभावशाली कृतियों में A Field of One’s Own (1994), Gender and Green Governance (2010) और तीन खंडों वाली Gender Challenges (2016) शामिल हैं।  

बीना अग्रवाल ने कहा कि यह पुरस्कार प्राप्त करके मुझे बहुत खुशी हुई है। हालांकि यह मेरे लिए आश्चर्य की बात है क्योंकि बहुआयामी असमानता पर अब इतना अच्छा शोध हो रहा है। मुझे खुशी है कि मैं उन स्कॉलर्स में से एक हूं।

उन्होंने कहा कि असमानता के विभिन्न आयामों पर शोध करने वाले हम में से कई लोग चाहते हैं कि ये असमानताएं कम होकर धीरे धीरे खत्म हो जाएं। इसलिए अपने काम में मैं न सिर्फ असमानताओं खासकर लैंगिक असमानताओं को पहचानने और मापने की कोशिश करती हूं और उन्हें कम करने के तरीके भी सुझाती हूं।

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