वह एक रोल मॉडल हैं। उनकी जीवन सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित है। पंजाबी मूल की ज्योति गोंडेक 2017 में कनाडा के कैलगरी शहर में काउंसिलर चुनी जाने वाली दक्षिण एशियाई मूल की पहली महिला बनी थीं। इसके चार साल बाद वह कैलगरी के मेयर पद तक पहुंच गईं।
कैलगरी की मेयर ज्योति कैलगरी न सिर्फ इस पद को संभालने वाली दक्षिण एशियाई मूल की पहली मेयर हैं बल्कि शहर की पहली महिला मेयर भी हैं। अब ज्योति ने अपना पद कायम रखने के लिए दोबारा से मेयर के चुनाव में उतरने का फैसला किया है।
संयोग है कि पंजाबी मूल के अमरजीत सोही एक अन्य महत्वपूर्ण शहर एडमोंटन के मेयर हैं। वह एडमोंटन के पहले पंजाबी मूल के काउंसिलर भी रहे हैं। अमरजीत एडमोंटन वापस लौटने से पहले जस्टिन ट्रूडो की सरकार में लिबरल सांसद और कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। ज्योति गोंडेक की तरह अक्टूबर 2021 में वह मेयर पद के लिए निर्वाचित हुए थे।
अल्बर्टा कनाडा का एकमात्र प्रांत है जिसमें दो पंजाबी मेयर हैं। कनाडा में सिविक इलेक्शन में सफल होने वाले पंजाबी मूल के पहले व्यक्ति नारंजन सिंह ग्रेवाल
थे। वह 1950 में ब्रिटिश कोलंबिया में मिशन काउंसिल के लिए चुने गए थे। बाद में वह मिशन सिटी के मेयर भी बने थे। ज्योति और अमरजीत सोही की तरह नारंजन की भी जड़ें भी पंजाब में थीं।
ब्रिटेन में जन्मी ज्योति गोंडेक वकील जसदेव सिंह ग्रेवाल और सुरजीत कौर ग्रेवाल की बेटी हैं। वह चार साल की उम्र में अपने माता-पिता के साथ कनाडा आ गई थीं। परिवार ने मैनिटोबा में विन्निपेग को कनाडा में अपना पहला घर बनाया।
प्रेयरी में परवरिश के दौरान उन्होंने अपनी पंजाबी विरासत को बनाए रखा और साथ ही कनाडाई संस्कृति को भी अपनाया। इस दौरान कई चुनौतियों का भी सामना किया।
ज्योति ने 1996 में अपने पति टॉड के साथ अल्बर्टा जाने से पहले मैनिटोबा विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री पूरी की। उन्होंने क्रेडिट यूनियन सेंट्रल और ग्रेहाउंड कनाडा में सेवाएं दीं जहां सामुदायिक जुड़ाव और नेतृत्व कौशल से सबका दिल जीत लिया।
पिता के निधन ने उनके जीवन पर महत्वपूर्ण असर डाला और उन्होंने वह सार्वजनिक सेवा की तरफ कदम बढ़ा दिए। साल 2017 में ज्योति कैलगरी के वार्ड 3 से पार्षद चुनी गईं। इसके चार साल बाद 2021 में वह मेयर बनीं।
ज्योति ने शहरी समाजशास्त्र में पीएचडी की है। रियल एस्टेट क्षेत्र में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी लीडरशिप और समुदाय केंद्रित दृष्टिकोण की वजह से उन्हें नट्टोइपिट्टाकी उपनाम मिला जिसका अर्थ है बाज की नजर वाली पवित्र महिला। ज्योति अब अपने परिवार के साथ उत्तर मध्य कैलगरी में रहती हैं।
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