भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसमें फ्लेवर्ड ई-सिगरेट लिक्विड पर फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के बैन को बरकरार रखा गया है।
राजा कृष्णमूर्ति ने एक बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आम लोगों की सेहत के लिहाज से एक बड़ी जीत है। यह उन वेप निर्माताओं को करारा जवाब है जो फलों के स्वाद वाले नशीले उत्पादों के जरिए हमारे युवाओं को निशाना बना रहे थे।
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कृष्णमूर्ति ने कहा कि वर्षों से मैं तंबाकू कंपनियों द्वारा बच्चों को नशेड़ी बनाने के प्रयासों का विरोध करता रहा हूं। अब एफडीए को यह बैन लागू करना चाहिए और इन खतरनाक उत्पादों को दुकानों से हटाया जाना चाहिए। हम ई-सिगरेट कंपनियों को अवैध फ्लेवर्ड वेप्स के जरिए बच्चों को शिकार बनाने की अनुमति नहीं दे सकते।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 5वीं यूएस सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें एफडीए की अधिकर को चुनौती देने वाली ई-सिगरेट कंपनियों के पक्ष में फैसला सुनाया गया था।
कोर्ट ने माना कि एफडीए ने अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर कार्य करते हुए ट्राइटन डिस्ट्रीब्यूशन जैसी कंपनियों के आवेदनों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि धूम्रपान से युवाओं को अधिक जोखिम हैं।
साल 2024 में आई सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की एक रिपोर्ट बताती है कि लगभग 16.3 लाख अमेरिकी मिडिल व हाई स्कूल के छात्र ई-सिगरेट का उपयोग करते हैं। इनमें से बड़ी संख्या में छात्र फ्लेवर्ड वेप्स को तरजीह देते हैं। हालांकि इस साल युवाओं में वेपिंग का स्तर एक दशक में सबसे निचले स्तर तक पहुंच गया है। इसका श्रेय फ्लेवर्ड उत्पादों के खिलाफ कार्रवाई को दिया जा सकता है।
ओवरसाइट सब कमिटी ऑन हेल्थकेयर एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के रैंकिंग मेंबर कृष्णमूर्ति ने युवाओं में वेपिंग की महामारी को खत्म करने के लिए द्विदलीय कांग्रेसनल कॉकस की सह-स्थापना की है। उन्होंने 2019 में यूथ वेपिंग की पहली कांग्रेसनल जांच का नेतृत्व किया और फ्लेवर्ड ई-सिगरेट को रेगुलेट करने व सिंथेटिक निकोटीन के लूपहोल बंद करने के लिए कानून पेश किया है।
यूएस-चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी स्ट्रैटेजिक कंपीटिशन पर सेलेक्ट कमिटी के रैंकिंग मेंबर के रूप में कृष्णमूर्ति ने चीन से आने वाले अवैध वेपिंग उत्पादों की जांच शुरू की है जिन्हें बच्चों को टारगेट करके बेचा जा रहा है।
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