रेनॉ (Renault) ग्रुप ने घोषणा की है कि वह रेनॉ निसान ऑटोमोटिव इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (RNAIPL) में निसान मोटर कॉर्प की बाकी 51 फीसदी हिस्सेदारी भी खरीदेगा। इसके बाद कंपनी को मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट में पूरा मालिकाना हक मिल जाएगा।
यह मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट भारत के दक्षिणी शहर चेन्नई में स्थित है। 2010 में इसका संचालन शुरू हुआ था। तब फ्रांस की रेनॉ और जापान की निसान की इसमें 30 और 70 फीसदी हिस्सेदारी थी।
2023 में दोनों कंपनियों ने 600 मिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की थी ताकि भारत में छह नए मॉडल लॉन्च किए जा सकें। इसके तहत निसान की हिस्सेदारी घटकर 51 प्रतिशत रह गई थी।
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रेनॉ और निसान ने अपनी दो दशक पुरानी साझेदारी को और संशोधित करने पर सहमति जताई है। इसके तहत परस्पर हिस्सेदारी को 15 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत किया जाएगा।
यह बदलाव ऐसे समय हुआ है जब इवान एस्पिनोसा निसान के नए सीईओ बनने जा रहे हैं। वे जापान की इस कार निर्माता कंपनी में नई जान फूंकने को लेकर दबाव में हैं।
इसके अलावा निसान अब रेनॉ के इलेक्ट्रिक वाहन डिवीजन Ampere में निवेश करने के लिए बाध्य नहीं होगा, जहां उसने 600 मिलियन यूरो के निवेश का वादा किया था।
भारत में निसान की अधिकांश हिस्सेदारी खरीदने की रेनॉल्ट का सौदा जल्द पूरा होने के आसार हैं। इसका नतीजा ये होगा कि निसान भारत के ऑटो बाजार में उत्पादन बंद कर देगा और केवल बिक्री एवं सेवाओं पर फोकस करेगा।
हालांकि रेनॉ निसान के लिए वाहनों का निर्माण जारी रखेगी। प्लांट की वार्षिक उत्पादन क्षमता चार लाख कारों की है लेकिन फिलहाल यह अपनी क्षमता का केवल एक तिहाई ही उत्पादन कर रहा है।
निसान की 17.05% हिस्सेदारी का सबसे बड़ा शेयरधारक रेनॉ पिछले कुछ वर्षों से निसान की गिरती बिक्री से प्रभावित है। कंपनी कार्लोस घोसन कांड के बाद से उबर नहीं पाई है। कार्लोस घोसन ने ही रेनॉल्ट निसान गठबंधन की नींव रखी थी। लेकिन वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगने के बाद वह जापान से भाग गए थे।
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