आप्रवासन अखंडता, सुरक्षा और प्रवर्तन उपसमिति की रैंकिंग सदस्य और अमेरिकी प्रतिनिधि प्रमिला जयपाल ने कार्यालय में अपने पहले दिन राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प द्वारा हस्ताक्षरित आव्रजन-संबंधी कार्यकारी आदेशों की तीखी आलोचना की है।
राष्ट्रपति ट्रम्प के कार्यकारी आदेश में विवादास्पद 'मेक्सिको में बने रहें' कार्यक्रम को बहाल करने, बाइडन प्रशासन पैरोल कार्यक्रमों को खत्म करने और जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने के उपाय शामिल हैं। जन्मसिद्ध नागरिकता 14वें संशोधन में निहित एक संवैधानिक अधिकार। प्रमिला ने कार्यकारी आदेश में इसे 'सामूहिक निर्वासन एजेंडा' की दिशा में उठाया गया कदम करार दिया।
जयपाल ने कहा कि आज हम देख रहे हैं कि ट्रम्प प्रशासन ने अपना सामूहिक निर्वासन एजेंडा शुरू कर दिया है। यह एजेंडा इन कार्यकारी आदेशों के साथ शुरू होता है और परियोजना 2025 के माध्यम से आगे बढ़ने तक जारी रहेगा।
प्रमिला ने प्रशासन पर जेनोफोबिया और नस्लीय प्रोफाइलिंग को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसा करके ट्रम्प प्रशासन पूरे समुदायों की नस्लीय प्रोफ़ाइलिंग को आमंत्रित कर रहा है और अनगिनत अमेरिकी परिवारों को विभाजित कर रहा है।
जयपाल ने जन्मजात नागरिकता समाप्त करने के ट्रम्प के कार्यकारी आदेश को 'असंवैधानिक' करार दिया और चेतावनी दी कि इस तरह की कार्रवाई को कार्यकारी प्राधिकारी द्वारा कानूनी रूप से लागू नहीं किया जा सकता।
कांग्रेसी जयपाल ने सीमा पर मुद्दों के समाधान के लिए बाइडन प्रशासन के दौरान हुई प्रगति की ओर इशारा किया जिसमें सीबीपी वन एप जैसी पहल और शरणार्थी कार्यक्रम के पुनर्निर्माण के प्रयास शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन कार्रवाइयों से अनधिकृत प्रवासन में कमी आई है और सीमा प्रबंधन में सुधार हुआ है।
जयपाल ने ट्रम्प की आव्रजन नीतियों के आर्थिक और सामाजिक प्रभावों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने तर्क दिया कि नए आदेश सीमा पर अव्यवस्था को बढ़ाएंगे, वैश्विक स्तर पर कमजोर आबादी को नुकसान पहुंचाएंगे और गंभीर खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने की देश की क्षमता में बाधा उत्पन्न करेंगे। कांग्रेस महिला ने इन उपायों के खिलाफ लड़ने की कसम खाई और एक ऐसी आव्रजन प्रणाली का आह्वान किया जो व्यवस्थित, निष्पक्ष और मानवीय हो।
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