अमेरिका के पूर्व उप विदेश मंत्री रिचर्ड वर्मा ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंध पहले से कहीं ज्यादा रणनीतिक हो गए हैं और अब ये व्यापार एवं सुरक्षा पर केंद्रित हैं।
अबू धाबी में आयोजित इंडियास्पोरा फोरम फॉर गुड (IFG) में "द ग्लोबल व्यू ऑफ इंडिया" विषय पर चर्चा के दौरान वर्मा ने कहा कि दोनों देशों के संबंध पहले व्यापक थे, लेकिन अब यह और गहरा व विशेष हो गए हैं।
रिचर्ड वर्मा ने बताया कि पहले स्वास्थ्य, टिकाऊ विकास, जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा जैसे मुद्दे दोनों देशों की साझा प्राथमिकताओं में शामिल थे, लेकिन अब इनकी जगह व्यापार और सुरक्षा ने ले ली है। यह बदलाव संबंधों को संकीर्ण बना सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि यह बुरा ही हो।
वर्मा का कहना था कि पहले भारत और अमेरिका दुनिया के लिए मिलकर काम करते थे, लेकिन अब यह साझेदारी सिर्फ दोनों देशों के फायदे तक सीमित हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत-अमेरिका संबंध का असली मूल्य यह नहीं है कि हम एक-दूसरे के लिए क्या करते हैं, बल्कि यह है कि हम दुनिया के लिए क्या करते हैं। मुझे लगता है कि यह बात अब खत्म हो गई है।
फोरम में भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका पर भी चर्चा हुई। भारत के पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि जी20 के बाद भारत ने मानव केंद्रित वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया है। भारत अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में शांति का समर्थन करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी साफ कहा है कि यह समय युद्ध का नहीं है और हम शांति के पक्ष में हैं।
ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य करण बिलिमोरिया ने कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और यह सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है। भारत की सफलता उसकी आर्थिक ताकत और वैश्विक साझेदारियों से जुड़ी है। भारत के UAE और UK जैसे देशों से गहरे संबंध है, जो वैश्विक स्थिति को मजबूत बनाता है।
टीवीएस कैपिटल के चेयरमैन गोपाल श्रीनिवासन ने कहा कि भारत की असली ताकत उसकी संस्कृति और दर्शन में है। भारत, भारतीय और भारतीयता तीन अलग चीजें हैं, लेकिन ये सभी एक-दूसरे से जुड़ी हैं। आज पूरी दुनिया भारत के साथ रिश्ते बनाना चाहती है।
श्रीनिवासन ने कहा कि भारत की आर्थिक क्षमता बहुत बड़ी है और अगले दस सालों में भारतीय परिवारों की आय बढ़कर 20 हजार डॉलर होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि भारत की असली ताकत उसके लोग हैं और वसुधैव कुटुम्बकम का दर्शन भारत की सबसे बड़ी देन हो सकता है।
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