फिल्म प्रोड्यूसर्स तबरेज नूरानी और अमर बुताला, अशोक राजमणि की जिंदगी से जुड़ी हैरान करने वाली कहानी 'द डे माई ब्रेन एक्सप्लोडेड' को एक फिल्म में बदलने के लिए तैयार हैं। पहले जनरेशन के भारतीय अमेरिकी अशोक को 25 साल की उम्र में अपने भाई की शादी के दौरान ब्रेन हेमरेज हुआ था। जिससे उनकी जान पर बन आई थी। 'द डे माई ब्रेन एक्सप्लोडेड' एक आत्मकथा है जिसमें रैसिज्म, डिसेबिलिटी और कल्चरल टैबूज जैसी मुश्किल बातों को खुलकर दिखाया गया है।
'स्लमडॉग मिलियनेयर' (2008) बनाने वाले मशहूर प्रोड्यूसर तबरेज नूरानी अशोक की कहानी को फिल्म में ढालने को लेकर काफी उत्साहित हैं। उनका मानना है कि ये कहानी जिंदगी में सब कुछ खो देने के बाद खुद को फिर से बनाने की असली भावना को बयां करती है।
'लाइफ ऑफ पाई' (2012) के इस प्रोड्यूसर ने कहा कि इस कहानी में भावनात्मक गहराई, कमजोरी और मुश्किलों पर जीत हासिल करने की दास्तां इसे एक कमाल की कहानी बनाती है। नूरानी का कहना है कि 'ये सिर्फ शारीरिक चोट से बचने की कहानी नहीं है, बल्कि घटना के बाद जीवन में मकसद ढूंढने के भावनात्मक और मानसिक सफर की कहानी है।'
अमर बुताला, जिनके काम में सलमान खान की फिल्म 'बजरंगी भाईजान' (2015) भी शामिल है, ने बताया कि द डे माई ब्रेन एक्सप्लोडेड सिर्फ मेडिकल स्टोरी नहीं है। वरायटी में उनके हवाले से कहा गया है कि ये एक बेहद निजी, मगर सबके साथ जुड़ने वाली कहानी कहने का मौका है। उन्होंने कहा कि ये कहानी सांस्कृतिक समृद्धि और कच्चे इंसानी अनुभव का ऐसा मिश्रण है, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया।
अशोक राजमणि ने अपनी आत्मकथा को फिल्म में ढालने के लिए दिग्गज प्रोड्यूसर्स तबरेज नूरानी और अमर बुताला के साथ काम करने की खुशी जाहिर की। ये दोनों साउथ एशियन डायस्पोरा से जुड़ी कई यादगार फिल्मों से जुड़े रहे हैं।
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