(उत्सव संदूजा)
हिंदू अमेरिकी होने के नाते मैंने हाल के वर्षों में इस देश में कई बड़े बदलाव देखे हैं। अब यह पहले से कहीं ज्यादा स्पष्ट हो गया है कि स्वतंत्रता, अवसर और संस्कृति के सम्मान जैसे जो मूल्य हमारे पसंदीदा हैं, वे चौराहे पर आ गए हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प के रूप में हमें एक ऐसा नेता मिला है जो इन मूल्यों को समझता है और पूरी सक्रियता से उनका बचाव और प्रचार करता है। बतौर राष्ट्रपति उनका कार्यकाल न सिर्फ आर्थिक विकास के लिहाज से बल्कि हमारे समुदाय की वास्तविक प्रगति के नजरिए से भी बेहतरीन था। उस दौर में सांस्कृतिक सम्मान और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए वास्तविक प्रतिबद्धता देखने को मिली थी।
आर्थिक विकास एवं अवसर|
राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा करों में कटौती से स्वास्थ्य सेवा, टेक्नोलोजी और फाइनेंस जैसे उन सेक्टरों को काफी सहारा मिला था, जो हिंदू अमेरिकी समुदाय के लिए मायने रखते हैं। ये सेक्टर हमारे समुदाय की सफलता के लिए आवश्यक हैं। ट्रम्प के शासनकाल में तमाम नौकरियां पैदा हुईं, इनोवेशन कल्चर फला-फूला। ट्रम्प के विजन ने उद्यमियों को सशक्त बनाया जिससे वेंचर कैपिटल, रियल एस्टेट और टेक स्टार्टअप में नई उपलब्धियां हासिल हुईं। उनकी नीतियों ने न केवल इकोनमी को मजबूत किया बल्कि हमारे समुदाय को महत्वपूर्ण क्षेत्रों में फलने-फूलने और विस्तार का भी मौका मिला।
संस्कृति एवं धार्मिक स्वतंत्रता
हिंदू अमेरिकियों के साथ राष्ट्रपति ट्रम्प का संबंध बिजनेस से परे है। उन्होंने अपने पूरे करियर में लगातार हमारी संस्कृति और मूल्यों के प्रति गहरा सम्मान दर्शाया है। 1976 में उन्होंने न्यूयॉर्क शहर में इस्कॉन की जगन्नाथ रथ यात्रा का सपोर्ट किया था, जो हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। 2022 में ट्रम्प ने दुनिया भर में हिंदुओं के संघर्षों का सम्मान करते हुए वाशिंगटन डीसी में हिंदू होलोकॉस्ट मेमोरियल बनाने की ऐतिहासिक प्रतिबद्धता जताई थी। ये प्रयास हमारी विरासत के बारे में उनकी ईमानदार समझ और सभी की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने की उनकी इच्छा को दिखाते हैं। उनके नेतृत्व में अमेरिकी सरकार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों में हिंदुओं, सिखों, बौद्धों और जैनियों के उत्पीड़न को उजागर करने वाली पहली सरकार बनी थी। ट्रम्प विश्व स्तर पर दृढ़ता से खड़े रहे जबकि बाकी चुप रहकर धार्मिक स्वतंत्रता का बचाव करते रहे।
मजबूत विदेश नीति और धार्मिक गठबंधन
ट्रम्प की भारत-प्रशांत रणनीति का ही नतीजा है कि हम चीनी आक्रामकता के खिलाफ खड़े होकर भारत (भारत), नेपाल और तिब्बत जैसे धार्मिक देशों के साथ संबंधों को मजबूत कर पाए। तिब्बती नीति और सपोर्ट एक्ट पर दस्तखत करके उन्होंने तिब्बत के आध्यात्मिक नेतृत्व और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने, शांति एवं अहिंसा के साझा मूल्यों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
शैक्षिक एवं न्यायिक उपलब्धिया
शिक्षा के क्षेत्र को देखें तो राष्ट्रपति ट्रम्प ने सुप्रीम कोर्ट में जो नियुक्तियां की थीं, उन्होंने योग्यता आधारित दाखिलों को बनाए रखने वाले फैसले दिए हैं। 2023 में स्टूडेंट्स फेयर एडमिशन बनाम हार्वर्ड मामले में अदालत ने मेरिट पॉलिसी को कायम रखा। ये फैसले उन लोगों की जीत है जो मेरिट, हार्ड वर्क और व्यक्तिगत उपलब्धि में यकीन रखते हैं, जो कि हमारे समुदाय के मूलभूत मूल्य हैं।
हैरिस का रुख
कमला हैरिस इस सबके विपरीत खड़ी नजर आती हैं। वोक एजेंडे के अनुरूप हैरिस जाति आधारित दाखिला नीति की पैरोकारी करती हैं, जो योग्यता, कौशल को कमजोर करती है। ये नीतियां समानता के नाम पर ऊंचाई हासिल करने वाले छात्रों को दंडित करती हैं और उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों को कम करके आंकती हैं।
हैरिस की विदेश नीति भी इसी तरह परेशान करने वाली है। 2019 में हैरिस ने घोषणा की थी कि कमांडर-इन-चीफ के रूप में वह कश्मीर मामले में "हस्तक्षेप" करेंगी। कमांडर-इन-चीफ शब्द का उपयोग आकस्मिक नहीं, जानबूझकर किया गया था। पूर्व अटॉर्नी जनरल और उच्च शिक्षित वकील होने के नाते, हैरिस सैन्य अथॉरिटी को लागू करने के निहितार्थ जानती हैं। उनके इस लापरवाह बयान ने कूटनीति को दरकिनार करने और एक और विदेशी संघर्ष में अमेरिकी सेना को शामिल करने की इच्छा का संकेत दिया था। उन्होंने अभी तक इन खतरनाक टिप्पणियों को वापस नहीं लिया है जो उन लोगों को बहुत परेशान करती हैं जो अहिंसा और वसुधैव कुटुम्बकम को महत्व देते हैं।
बाइडेन-हैरिस प्रशासन के अंतर्गत अमेरिका में मंदिरों पर हमले, समुदाय के प्रति शत्रुता और हिंदूफोबिया काफी बढ़ गया है। बांग्लादेश में हस्तक्षेप समेत उनकी विदेश नीति ने एशियाई उपमहाद्वीप को अस्थिर बना दिया है जिससे हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए खतरा बढ़ गया है। यूक्रेन पर उनके रुख ने दुनिया को एक और वैश्विक संघर्ष के कगार पर ला दिया है। इसके विपरीत ट्रम्प का नजरिया कूटनीति बढ़ाने और तनाव कम करने को प्राथमिकता देता है। वह केवल आखिरी उपाय के रूप में ताकत का इस्तेमाल करने की नीति रखते हैं।
कदम उठाने का वक्त
जबकि हम अपने देश के भविष्य को लेकर सबसे महत्वपूर्ण निर्णय करने वाले हैं, हमें ऐसे नेताओं की जरूरत है जो हमारे साझा मूल्यों को बनाए रखें और सबको साथ लेकर चलें। यह वक्त राष्ट्रपति ट्रम्प और सीनेटर जेडी वेंस का समर्थन करने का है। यह जोड़ी को विवेक रामास्वामी, तुलसी गबार्ड, और रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर जैसी हस्तियों का समर्थन हासिल है, जो शांति कायम करने एवं आर्थिक समृद्धि के लिए समर्पित हैं।
ये सभी एकसाथ मिलकर अमेरिका के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए तैयार हैं। ये उन सिद्धांतों में यकीन रखते हैं जो हिंदू-अमेरिकी मूल्यों से मेल खाते हैं। आइए एक साथ आएं और अमेरिका का सबसे अच्छा वक्त लाने में सहयोग करें।
(लेखक उत्सव संदूजा हिंदूज फॉर अमेरिकन फर्स्ट पीएसी के संस्थापक अध्यक्ष हैं।)
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