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हार्वर्ड में बोले श्री श्री रविशंकर: "समाज की भलाई की जिम्मेदारी खुद से शुरू करें"

भारत के आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने खास तौर पर अमेरिका में कम वोटिंग प्रतिशत को लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय बताया।

श्री श्री रविशंकर /

भारतीय आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एक फोरम के दौरान लोगों से नागरिक जिम्मेदारियों में सक्रिय भागीदारी की अपील की। उन्होंने खास तौर पर अमेरिका में कम वोटिंग प्रतिशत को लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय बताया।

यह संवाद 7 अप्रैल को Harvard Kennedy School के Institute of Politics Forum में आयोजित हुआ, जिसमें श्री श्री रविशंकर के साथ डॉ. रॉबर्ट वॉल्डिंगर (Harvard Medical School के प्रोफेसर और मनोचिकित्सक) भी मौजूद थे। यह कार्यक्रम Harvard Student Wellbeing Week का हिस्सा था।

श्री श्री रविशंकर ने क्या कहा?
"देश कठिन समय से गुजर रहा है। यह समय है जब लोगों को जागना चाहिए और अपनी जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए।" अमेरिका में वोटिंग के कम आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, “यह लोकतंत्र है, और फिर भी बहुत कम लोग वोट डालते हैं। यह स्थिति चिंता की है।”

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श्री श्री ने ध्यान और सांस तकनीकों की चर्चा करते हुए कहा कि आत्म-कल्याण ही समाज के स्वास्थ्य की नींव है। “परसेप्शन, ऑब्जर्वेशन और एक्सप्रेशन को सुधारने के लिए मेडिटेशन जरूरी है – चाहे आप साइंस में हों या आर्ट्स में।” उन्होंने अपने प्रसिद्ध सुदर्शन क्रिया योग का भी ज़िक्र किया, जिसे उन्होंने 1980 के दशक में भारत के शिमोगा में मौन साधना के दौरान विकसित किया था।

वॉल्डिंगर का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
डॉ. वॉल्डिंगर ने बताया कि मनुष्य का दिमाग स्वाभाविक रूप से चिंता की ओर झुकता है क्योंकि वह खतरों पर ज्यादा ध्यान देता है।  श्री ने जवाब में कहा, “जब हम शिशु थे, तब हम केवल भूख या असहजता में रोते थे। हमारी शुद्धता वहीं थी – और उसी स्थिति में लौटना ही असली समझ है।”

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