राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस आगामी 20 जनवरी को अमेरिका में उम्मीद और आशा की एक नई भावना का संचार करने जा रहे हैं। जो बाइडेन के पिछले चार साल के शासन में अमेरिकियों को खुली सीमाओं, उच्च मुद्रास्फीति जैसी समस्याओं से जूझना पड़ा है। सीमाओं पर सख्ती के अभाव से गैरकानूनी आप्रवासियों और अवैध दवाओं की देश में बाढ़ आ चुकी है। ऊंची महंगाई के कारण आम अमेरिकी नागरिक अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जूझ रहे हैं। खर्च के अस्थिर तरीके ने देश को मुश्किल ऋण के जाल में उलझा दिया है।
हमें भरोसा है कि राष्ट्रपति ट्रम्प और वाइस प्रेसिडेंट जेडी वेंस के कार्यकाल में हम अपनी सीमाओं को सुरक्षित बनाएंगे, महंगाई रोकेंगे, लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएंगे और लापरवाह सरकारी खर्च पर लगाम कसेंगे। अमेरिकी नागरिक इन दोनों पर भरोसा कर सकते हैं कि वे वक्त पर और किफायती तरीके से अपने वादों को पूरा करेंगे। ट्रम्प और वेंस अमेरिका-भारत संबंधों में भी एक नए और उन्नत युग का आगाज करेंगे।
मजबूत संबंध
ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में देशों के बीच व्यापार बढ़ाने और कूटनीति तरीके से शांति कायम करने में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की थीं। पिछले चार वर्षों में बाइडेन ने अमेरिका-भारत संबंधों को आगे बढ़ाने में कुछ भी उल्लेखनीय नहीं किया, न ही विरासत में मिले किसी भी महान कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। भारतीय अमेरिकी जानते हैं कि अगले चार वर्षों में अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी में महत्वपूर्ण प्रगति देखने को मिलेगी।
धार्मिक सुरक्षा
हिंदू-अमेरिकियों की भावनाओं को देखते हुए ट्रम्प बांग्लादेश में हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ चल रही हिंसा की निंदा कर चुके हैं। ट्रम्प का फोकस कूटनीतिक रूप से शांतिपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने और किसी भी समूह या लोगों के खिलाफ हिंसा की निंदा करने पर रहा है। बाइडेन ने कहीं भी, यहां तक कि अमेरिका में भी हिंदू विरोधी हिंसा की निंदा के लिए एक शब्द तक नहीं बोला। भारत में सीएए कानून का बाइडेन ने सार्वजनिक रूप से विरोध किया जबकि ट्रम्प ने तटस्थ रहने का फैसला किया। अमेरिका समेत दुनिया भर में हिंदुओं और हिंदू मंदिरों पर हमले हो रहे हैं, ऐसे में हिंदू अमेरिकी भरोसा कर सकते हैं कि राष्ट्रपति ट्रम्प उनकी सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाएंगे।
समावेशी सरकार
राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपनी सरकार में हिंदुओं और भारतीय-अमेरिकियों को अहम नियुक्तियां दी हैं। तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशक, काश पटेल को एफबीआई निदेशक, हरमीत ढिल्लों को सहायक अटॉर्नी जनरल, डॉक्टर जय भट्टाचार्य को राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान का निदेशक और श्रीराम कृष्णन को एआई पर सीनियर पॉलिसी एडवाइजर नामित किया है। तुलसी गबार्ड का नेशनल सिक्योरिटी से जुड़े बाइडेन सरकार के विनाशकारी फैसलों का सार्वजनिक विरोध यह भरोसा जगाता है कि वह अमेरिका की इंटेलिजेंस कम्युनिटी को अविश्वास और असफलता की खाई से बाहर लाने में सक्षम साबित होंगी।
विश्वसनीय ट्रैक रिकॉर्ड
काश पटेल का नार्को तस्करी के मामलों से निपटने, अल-कायदा जैसे आतंकी समूहों की जांच करने और आईएसआईएस को खत्म करने की ट्रम्प की सर्वोच्च प्राथमिकता को मुकाम तक पहुंचाने का लंबा सफल करियर रहा है। हरमीत ढिल्लों के अमेरिकियों के अधिकारों व आजादी की पैरवी के ट्रैक रिकॉर्ड ने उन्हें अमेरिका के अटॉर्नी जनरल की सहायता करने और बाइडेन प्रशासन में हुए कानूनी नुकसान की भरपाई करने का बेहतरीन अवसर दिया है।
डॉक्टर जय भट्टाचार्य का चिकित्सा, अर्थशास्त्र और स्वास्थ्य नीति में लगभग तीस साल का लंबा करियर है। दवाओं को राजनीति के चंगुल से मुक्त करने और नागरिकों के स्वास्थ्य संबंधी मामलों में संघीय हस्तक्षेप के विरोध की डॉ. भट्टाचार्य की ताकत उन्हें बाइडेन सरकार के विनाशकारी कदमों को उलटने का सही विकल्प बनाती है। श्रीराम कृष्णन सिलिकॉन वैली के सितारे रहे हैं। उन्होंने प्रौद्योगिकी के सामाजिक निहितार्थों पर कई नीतिगत लेख लिखे हैं और अहम योगदान दिया है। ये महान नियुक्तियां दिखाती हैं कि भारतीय अमेरिकी समुदाय इस देश के लिए क्या कुछ कर सकता है और इस देश की महान आकांक्षाओं की पूर्ति में मददगार बन सकता है।
कहने का अर्थ ये है कि राष्ट्रपति ट्रम्प अमेरिका को उस मुकाम तक पहुंचाएंगे, जिसके बारे में हमने सोचना भी शुरू नहीं किया है। हिंदू और भारतीय-अमेरिकी ऐसे देश में अपने घरों में परिवारों के साथ सुरक्षित महसूस कर सकते हैं, जहां की सरकार हर किसी को समृद्ध बनाने के लिए काम कर रही है। ट्रम्प का दूसरा कार्यकाल अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कूटनीति के लिहाज से महान उपलब्धियों वाला कार्यकाल साबित होगा।
(स्टेट सीनेटर के तौर पर नीरज अंतानी ने ओहियो जनरल असेंबली में एक दशक से अधिक समय तक सेवा की है। वह ओहियो के 221 साल के इतिहास में पहले हिंदू और पहले भारतीयअमेरिकी सीनेटर रहे हैं।)
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