कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले की फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS) ने कड़ी निंदा की है। इस जिहादी हमले में कम से कम 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई, जिनमें अधिकांश हिन्दू थे। आतंकियों ने पहचान कर विशेष रूप से हिन्दुओं को निशाना बनाया।
प्रारंभिक खुफिया जानकारी के अनुसार, इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकी गुट पाकिस्तान से संचालित हो सकते हैं। पाकिस्तान पर लंबे समय से भारत में आतंकवाद को सीधे और परोक्ष रूप से समर्थन देने के आरोप लगते रहे हैं। FIIDS ने बताया कि पिछले सात दशकों में भारत में इस्लामी आतंकवाद के चलते एक लाख से ज्यादा हिन्दू और सिख मारे जा चुके हैं या विस्थापित हुए हैं। यह एक मानवीय त्रासदी है जिसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर पर्याप्त तवज्जो नहीं मिली है।
इस हमले को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा के दौरान अंजाम दिया गया, जिससे यह भारत के साथ-साथ अमेरिका को भी एक प्रकार की चेतावनी समझा जा रहा है। इसी प्रकार मार्च 2000 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत यात्रा के दौरान भी जम्मू कश्मीर के छटसिंहपुरा गांव में 36 सिखों की निर्मम हत्या की गई थी।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सहित विश्व के कई नेताओं ने इस हमले की निंदा की है और भारत के प्रति एकजुटता व्यक्त की है। FIIDS ने वैश्विक समुदाय से अपील की है कि अब केवल शब्दों से नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई के साथ आतंकवाद का समूल नाश किया जाए। विशेषकर उन देशों पर प्रतिबंध लगाए जाएं जो आतंकवादियों को शरण और समर्थन देते हैं।
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संयुक्त राज्य प्रतिनिधि सभा द्वारा इस जघन्य हमले की त्वरित निंदा के लिए FIIDS ने आभार जताया है और अमेरिकी कांग्रेस से आग्रह किया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ एक औपचारिक प्रस्ताव पारित करे तथा भारत को अपने नागरिकों की रक्षा का अधिकार देने का समर्थन करे।
FIIDS ने अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) से भी अपील की है कि वह इस हमले पर अपनी चुप्पी तोड़े और भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हुए इस जिहादी हमले की स्पष्ट निंदा करे।
FIIDS ने कहा है कि अब समय आ गया है कि दुनिया केवल शोक न मनाए, बल्कि एकजुट होकर आतंक के ढांचे को जड़ से समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाए।
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