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7 गंभीर आरोपों के साथ थानेदार ने ट्रम्प के खिलाफ पेश किया महाभियोग का प्रस्ताव

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद श्री थानेदार ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया है। सात गंभीर आरोपों में ट्रम्प पर संविधान का उल्लंघन करने और लोकतंत्र को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया है।

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद श्री थानेदार। / Facebook

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद श्री थानेदार ने 28 अप्रैल को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग के आरोप पेश किए। उनका कहना है कि ट्रंप ने 'सत्ता का जबरदस्त दुरुपयोग किया, खुलेआम संविधान तोड़ा और ऐसी तानाशाही हरकतें कीं, जो अमेरिकी लोकतंत्र को कमजोर कर कानून के राज को खतरे में डालती हैं।'

हाउस ऑफ रिप्रजेटेटिव्स में रखे गए इस प्रस्ताव में कुल 7 आरोप लगाए गए हैं। इनमें ट्रंप पर गंभीर अपराध और गलत काम करने का दावा किया गया है। डेमोक्रेट थानेदार ने कहा कि पद पर रहते हुए भी और बाहर भी राष्ट्रपति ट्रम्प का बर्ताव लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए लगातार खतरा बना हुआ है।

थानेदार ने बयान में कहा, 'डोनाल्ड ट्रम्प बार-बार साबित कर चुके हैं कि वे राष्ट्रपति पद के काबिल नहीं हैं और हमारे संविधान व लोकतंत्र के लिए साफ-साफ खतरा हैं। उनकी गैरकानूनी हरकतों ने न्याय-व्यवस्था को कमजोर किया। सत्ता के अलग-अलग अंगों के बीच संतुलन तोड़ा। निजी ताकत व स्वार्थ को जनसेवा से ऊपर रखा। अब और नुकसान का इंतजार नहीं किया जा सकता। कांग्रेस को तुरंत कदम उठाना होगा।'

प्रस्ताव में संविधान तोड़ने के कई आरोप गिनाए गए हैं। इनमें जस्टिस में रुकावट, कार्यकारी सत्ता का दुरुपयोग और संघीय अधिकार का गलत इस्तेमाल। आरोपों में कहा गया है कि ट्रम्प ने कानूनी प्रक्रिया से इनकार किया। अदालत के आदेशों की अनदेखी की। गैरकानूनी तरीके से लोगों को देश से निकाला और राजनीतिक फायदे के लिए न्याय विभाग (DOJ) का इस्तेमाल किया।

साथ ही यह भी आरोप है कि ट्रम्प ने सरकारी एजेंसियां तोड़ीं, संघीय फंड पर अवैध रोक लगाई, व्यापारिक शक्तियों का दुरुपयोग किया और सार्वभौमिक देशों को सैन्य कार्रवाई की धमकी दी। प्रस्ताव में प्रेस व आलोचकों पर बदले की कार्रवाई, ‘गैरकानूनी दफ्तर’- डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) की रचना और एलन मस्क को ऐसे कदम उठाने की ताकत देने का भी जिक्र है, जिनसे कथित तौर पर संविधान का उल्लंघन हुआ।

अतिरिक्त आरोपों में रिश्वतखोरी, विदेश से फायदों की मांग, राजनीतिक मकसद से आपराधिक मामलों को खत्म करना और तानाशाही हद से अधिक दखल के जरिये नागरिक स्वतंत्रताएं घटाने की कोशिशें शामिल हैं।थानेदार ने कहा, यह दलगत राजनीति का मामला नहीं है। सवाल लोकतंत्र को बचाने और यह सुनिश्चित करने का है कि कानून से ऊपर कोई नहीं, यहां तक कि राष्ट्रपति भी नहीं।'

 

 

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