अमृतसर जिले के राजाताल गांव के 23 वर्षीय युवक आकाशदीप सिंह के पिता स्वर्ण सिंह उस वक्त एयरपोर्ट पर मौजूद थे जब अमेरिकी वायुसेना का सी-7 विमान लैंड हुआ। आकाशदीप सिंह उस पहले जत्थे में शामिल है जिसे अमेरिका से निर्वासित किया गया है। स्वर्ण सिंह ने अपने बेटे की वापसी पर राहत की सांस भी ली तो वहीं दुख भी व्यक्त किया।
भावुक होते हुए स्वर्ण सिंह ने न्यू इंडिया अब्रॉड को बताया कि हमें पंजाब पुलिस के अधिकारियों से सूचना मिली कि मेरे बेटे आकाशदीप सिंह को अमेरिका से निर्वासित कर दिया गया है और वह दोपहर में अमृतसर हवाई अड्डे पर पहुंच रहा है। इस खबर ने परिवार को चिंता के साथ-साथ राहत भी दी। दरअसल सिंह ने अपने बेटे के विदेश में बेहतर भविष्य के लिए अपनी लगभग पूरी जमापूंजी खर्च की थी।
आकाशदीप की यात्रा शुरू से ही चुनौतियों से भरी थी। बारहवीं कक्षा पूरी करने के बाद वह स्टडी परमिट पर कनाडा जाने की इच्छा रखता था। हालांकि IELTS परीक्षा में बार-बार प्रयास करने के बावजूद वह आवश्यक स्कोर से कम रहा। कम IELTS स्कोर के कारण वह कनाडा नहीं जा सका। स्वर्ण सिंह ने याद करते हुए बताया कि उसने दो साल तक ये प्रयास किए और फिर उसने लगभग सात महीने पहले वर्क परमिट पर दुबई जाने का फैसला किया।
परिवार ने आकाशदीप को दुबई भेजने के लिए लगभग 4 लाख रुपये (लगभग $4,800) खर्च किए जहां वह ट्रक ड्राइवर के रूप में काम करता था और प्रति माह लगभग 50,000 रुपये (लगभग $600) कमाता था। लेकिन उसकी महत्वाकांक्षाएं बढ़ती गईं और जल्द ही उसने संयुक्त राज्य अमेरिका पर अपनी नजरें टिका दीं।
स्वर्ण सिंह ने अपने बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए परिवार द्वारा लिए गए कठिन निर्णयों को याद करते हुए बताया कि फिर आकाशदीप ने अमेरिका जाने की योजना बनाई जिसके लिए उसने दुबई में एक एजेंट से संपर्क किया और लगभग 55 लाख रुपये (लगभग $66,000) की लागत पर सौदा तय किया। हम उसके यूएसए जाने की योजना से सहमत हो गए और उसे पैसे भेजने लगे।
आकाशदीप के प्रवास को वित्तपोषित करने के लिए उनके परिवार ने अपनी 2.5 एकड़ कृषि भूमि में से 2 एकड़ जमीन बेच दी जो उनकी आय का एकमात्र स्रोत थी। उन्होंने बताया कि अब हमारे पास सिर्फ आधा एकड़ जमीन बची है जो आजीविका के लिए पर्याप्त नहीं है।
इस गंभीर वित्तीय झटके के बावजूद स्वर्ण सिंह कहते हैं कि उनके बेटे की सुरक्षित वापसी ने उनके परिवार के नुकसान को कम कर दिया। उन्होंने कहा कि अब उसे अमेरिकी सरकार ने भारत भेज दिया है और हम बहुत भाग्यशाली महसूस करते हैं कि हमारे वित्तीय नुकसान के बावजूद मेरा बेटा सुरक्षित घर लौट आया है।
हालांकि उन्होंने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि अगर सरकारों ने युवाओं को रोजगार सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त काम किया होता तो उन्हें जोखिम भरे रास्तों से विदेश जाने के बारे में नहीं सोचना पड़ता।
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