भारत की तीर्थनगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में सैन फ्रांसिस्को के LGBTQ+ समुदाय को भी आमंत्रित किया गया है। दुनिया के पहले ट्रांसजेंडर धार्मिक किन्नर अखाड़े की मुखिया ने सैन फ्रांसिस्को के LGBTQ+ समुदाय को आमंत्रित किया है।
यह जानकारी दुनिया के पहले ट्रांसजेंडर धार्मिक किन्नर अखाड़े की प्रमुख पुजारिन या मुखिया और आचार्य महामंडेलश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने महाकुंभ से दी है। अपना आशीर्वाद और प्रार्थनाएं सैन फ्रांसिस्को भेजते हुए त्रिपाठी ने कहा कि मैं उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ से बोल रही हूं। जो भी किन्नर अखाड़े में शामिल होना चाहते हैं उनका स्वागत है। सैन फ्रांसिस्को में मेरी शिष्या अंजलि रेमी से आप संपर्क कर सकते हैं।
महाकुंभ में किन्नर अखाड़े में उत्सव का माहौल था। ननों की एक मंडली ने पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाए और देवी के भक्ति गीत गाए। नागा साधुओं और किन्नर संन्यासियों का एक समूह हवन कुंड के चारों ओर बैठा था।
रंग-बिरंगी राजस्थानी स्कर्ट, स्वेटर और शॉल पहने महिलाएं आशीर्वाद लेने के लिए किन्नर भिक्षुणियों के पास पहुंच रही थीं। महिलाओं के समूह ने घूमर नृत्य किया। ट्रांसजेंडर ननों के पैर छूकर भक्त किन्नर अखाड़े के नेता लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से आशीर्वाद लेने के लिए लंबी कतार में धैर्यपूर्वक इंतजार कर रहे थे। जब पुरुष और महिलाएं उस मंच के पास पहुंचे जहां त्रिपाठी बैठे थे तो उनके सिर पर मोर पंख स्पर्श कर आशीर्वाद दिया गया।
त्रिपाठी ने दोनों बांहों पर शिव का टैटू बनवाया हुआ था, माथे पर तीन सफेद रेखाएं बनी हुई थीं जिस पर चमकदार सोने का बेस कोट लगा हुआ था। ऊपर की ओर जाती हुई एक बड़ी लाल बिंदी उनके माथे पर शोभा दे रही थी और उनकी नाक पर एक सोने की डिस्क चमक रही थी। जैसे ही वह आलस्य से पीछे झुकीं उनकी चमकीली नारंगी साड़ी सामने फैल गई। यह सब देख भक्त चकित थे।
महाकुंभ में उत्सव... / Ritu Marwahत्रिपाठी ने जूना अखाड़े के साथ समझौता करके अपने धार्मिक अखाड़े की स्थापना कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। जूना अखाड़ा 13 अखाड़ों में सबसे बड़ा है। किन्नर समुदाय के समर्थन में जूना अखाड़े के मुखिया हरि गिरि आगे आये। वे उनके साथ कुम्भ में स्नान करने को तैयार हो गये। वर्ष 2015 में किन्नर अखाड़े की स्थापना हुई। त्रिपाठी ने अपने सैन फ्रांसिस्को समुदाय से कहा- यह सबसे बड़ी उपलब्धि है।
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