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नववर्ष की असली धुन खेतों में बजती है, भारत के इन त्योहारों का खेती से है रिश्ता

क्या आप जानते हैं कि भारत में अलग-अलग जगहों पर नए साल का जश्न कैसे मनाया जाता है? अप्रैल का महीना है और देश भर में खेती से जुड़े कई अनोखे त्योहार मनाये जा रहे हैं...

प्रतीकात्मक तस्वीर / Pexels

अप्रैल में भारत के अलग-अलग हिस्से सौर नव वर्ष मनाया जा रहा है। इस दौरान मनाए जाने वाले जश्न का खेती का गहरा संबंध है। हर क्षेत्र, अपनी जलवायु और परंपराओं के साथ अपने मेहनत के फलों का जश्न मनाता है। ये त्योहार, जो अक्सर फसल काटने के मौसम से जुड़े होते हैं, देश की जड़ों को खेती से जुड़े होने की पुष्टि करते हैं।

वैशाखी: पंजाब के सुनहरे खेत 

पंजाब और उत्तर भारत में वैशाखी रबी (सर्दियों की) फसल चक्र के अंत की दहलीज है। किसान, जिनके खेत हवाओं में लहराते सुनहरे गेहूं के समंदर जैसे लगते हैं, अपनी मेहनत का जश्न मनाते हैं जब फसल घर आती है। दालों, तिलहन और गन्ने के साथ गेहूं वैशाखी का मुख्य आकर्षण है। ये त्योहार प्रकृति के प्रति धन्यवाद का एक खुशी भरा उत्सव है। पुरुष और महिलाएं उर्जावान भांगड़ा और गिद्दा नृत्य करते हैं, जिनकी चालें सफल फसल की लय को दर्शाती हैं।

विशु: केरल की समृद्धि 

केरल में विशु की शुरुआत विशुक्कणी की पहली झलक से होती है। यह मौसमी फसलों का एक शुभ संग्रह है। इनमें से कणिवेलारी (सुनहरी ककड़ी) सम्मान की जगह रखता है। पहले ये ककड़ी उत्तरी केरल से आती थी, लेकिन इस साल तिरुवनंतपुरम के कल्लियूर के किसानों ने भी इसे उगाना शुरू कर दिया है। ये त्योहार धान, नारियल और मौसमी सब्जियों की कटाई के साथ भी मेल खाता है, जो समृद्धि की भावना को और बढ़ाता है। 

बोहाग बिहू: असम के धान के खेत

असम के लिए बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू सिर्फ नव वर्ष का स्वागत नहीं है। यह सबसे महत्वपूर्ण फसल - धान की तैयारी का समय है। ये त्योहार बीज बोने के मौसम की शुरुआत का संकेत है, जब किसान चावल की खेती के लिए अपने खेत तैयार करते हैं। जश्न में पारंपरिक पकवान जैसे पिठा और लारू (चावल और नारियल से बने) खास जगह रखते हैं। साथ ही आदिवासी समुदायों के पारंपरिक पेय जैसे आपोंग और चूजे भी उत्सव का हिस्सा हैं।

गुड़ी पड़वा: आम का मौसम शुरू

महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा रबी की फसल पूरी होने और फलों के राजा आम के आगमन का प्रतीक है। यही वो मौसम है जब बाजारों में पके अल्फांसो आमों की बहार होती है, जिनकी खुशबू समृद्धि और खुशियों का संकेत देती है। आम के साथ ही, सर्दियों की फसल से निकली दालें और अनाज भी जश्न के खाने में शामिल होते हैं।

पना संक्रांति

ओडिशा में पना संक्रांति (महा विषुव संक्रांति) ओडिया नव वर्ष और महत्वपूर्ण फसलों की कटाई की शुरुआत का दिन है। मुख्य फसल धान के साथ गेहूं, मूंग और तूर जैसी दालें, सरसों और तिल जैसे तिलहन, और कद्दू-लौकी जैसी मौसमी सब्जियां तैयार होती हैं। आम, कटहल और बेल (बेलफल) जैसे फल भी जरूरी भूमिका निभाते हैं। बेल का रस इस त्योहार में विशेष चढ़ावा होता है।

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