जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए एक खौफनाक आतंकी हमले में कम से कम 26 लोग मारे गए। ये सभी पर्यटक थे। 2019 में धारा 370 हटाए जाने के बाद से यह इस क्षेत्र में सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक है। विश्लेषकों और सार्वजनिक हस्तियों की प्रतिक्रियाओं ने इस हमले के व्यापक प्रभावों को उजागर किया है।
हडसन इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो और अमेरिका व श्रीलंका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले की तुलना 2023 में हमास के नेतृत्व में इजराइल पर हुए हमले से की है।
उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, '7 अक्टूबर 2023 को इजराइल में हमास का आतंकी हमला गाजा में बड़ी त्रासदी की वजह बना। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर में हुआ आतंकी हमला भी उतना ही खतरनाक है, इसके भी गंभीर नतीजे हो सकते हैं।'
जिहादी नेटवर्क पर चेतावनी
हडसन इंस्टीट्यूट में इंडिया एंड साउथ एशिया फ्यूचर इनिशिएटिव की डायरेक्टर अपर्णा पांडे ने इस हमले को कश्मीर में नागरिकों पर 2000 के चिट्ठीसिंहपोरा हमले के बाद सबसे बड़ा हमला बताया। उन्होंने कहा कि यह हमला इस बात को उजागर करता है कि पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान जिहादी नेटवर्क को कितनी हद तक नियंत्रित करता है।
अपर्णा पांडे ने कहा कि 'पाकिस्तान की फौज दबाव में आकर कुछ समय के लिए आतंकी गतिविधियां रोक सकती है, लेकिन वे कभी भी जिहादी नेटवर्क को पूरी तरह से बंद नहीं करते।' उन्होंने कहा, '2021 में जनरल बाजवा ने भी यही किया था। उनसे पहले भी कई आर्मी चीफ वक्त-वक्त पर ऐसा करते रहे हैं।'
अपर्णा पांडे ने आगे कहा कि पाकिस्तान के मौजूदा आर्मी चीफ जनरल मुनीर ने हाल ही में दो राष्ट्र सिद्धांत और कश्मीर का जिक्र किया था, जिससे लगता है कि भारत के साथ तनाव बढ़ाकर वे देश के अंदरूनी मसलों से ध्यान हटाना चाहते हैं।
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