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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी चांसलर की रेस में भारतीय मूल के तीन उम्मीदवार भी शामिल

बर्कशायर के ब्रैकनेल फॉरेस्ट के पहले भारतीय मूल के मेयर अंकुर शिव भंडारी, अंतरराष्ट्रीय उद्यमिता के प्रोफेसर निरपाल सिंह पॉल भंगल और चिकित्सा पेशेवर प्रतीक तरवाड़ी इस प्रतिष्ठित पद के लिए शिक्षाविदों, राजनेताओं और उद्यमियों के साथ मुकाबला करेंगे।

ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी / Image- Oxford University news

ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने अपने नए चांसलर के चुनाव के लिए 38 नामों की घोषणा की है। इनमें तीन भारतीय मूल के उम्मीदवार के नाम भी शामिल हैं। इनमें बर्कशायर के ब्रैकनेल फॉरेस्ट के पहले भारतीय मूल के मेयर अंकुर शिव भंडारी, अंतरराष्ट्रीय उद्यमिता के प्रोफेसर निरपाल सिंह पॉल भंगल और चिकित्सा पेशेवर प्रतीक तरवाड़ी इस प्रतिष्ठित पद के लिए शिक्षाविदों, राजनेताओं और उद्यमियों के साथ मुकाबला करेंगे। बता दें कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान का नाम चांसलर पद की रेस में शामिल नहीं किया है। 

कुछ उल्लेखनीय उम्मीदवारों में कंजर्वेटिव पार्टी के पूर्व नेता लॉर्ड विलियम हैग और लेबर पार्टी के पूर्व राजनेता लॉर्ड पीटर मैनडेलसन भी शामिल हैं। विश्वविद्यालय ने अपने बयान में कहा, चांसलर इलेक्शन कमेटी ने विश्वविद्यालय के नियमों में तय चार मानदंडों के आधार पर आवेदनों पर विचार किया है। सभी आवेदकों को सूचित किया गया है कि उनके आवेदन सफल रहे हैं या नहीं।

आवश्यक मानदंडों में उम्मीदवारों को अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों, विश्वविद्यालय के शैक्षणिक मिशन के लिए गहरी सराहना और इसकी वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए समर्पण का प्रदर्शन करना शामिल है। ऑक्सफोर्ड के चांसलर की औपचारिक भूमिका में मुख्य कार्यक्रमों की अध्यक्षता और वाइस-चांसलर चुनाव समिति की अध्यक्षता करना शामिल है। इस प्रतिष्ठित पद पूर्व कंजर्वेटिव प्रधानमंत्री हैरोल्ड मैक्मिलन भी रहे हैं। इसके अलावा लॉर्ड पैटन 21 साल की सेवा करने के बाद ट्रिनिटी टर्म 2024 के अंत में रिटायर हो जाएंगे।

नए चांसलर के लिए वोटिंग दो चरणों में होगी। पहला चरण 28 अक्टूबर को शुरू होगा। इसमें विश्वविद्यालय का कन्वोकेशन, जिसमें स्टाफ और स्नातक शामिल हैं, उम्मीदवारों को रैंक करेगा। पांच शीर्ष उम्मीदवार वोटिंग के दूसरे चरण में आगे बढ़ेंगे। यह 18 नवंबर से शुरू होगा। अंतिम नतीजे की घोषणा 25 नवंबर को किए जाने की संभावना है। चुने गए चांसलर का कार्यकाल 10 साल से अधिक नहीं होगा। इसे लेकर इस साल के शुरू में विश्वविद्यालय के नियमों में संशोधनों किया गया है। 

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