भारत के व्यापार मंत्री पीयूष गोयल व्यापार वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए 3 मार्च से संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा पर हैं। दो सरकारी अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की योजनाबद्ध पारस्परिक टैरिफ के लिए कुछ सप्ताह बाकी हैं।
अधिकारियों ने कहा कि गोयल की यात्रा अचानक हुई है। उन्होंने 8 मार्च तक पहले से तय बैठकों को रद्द करने के बाद अमेरिका का रुख किया। गोयल भारत के उद्योग मंत्री भी हैं। भारत के व्यापार मंत्रालय ने टिप्पणी के लिए ईमेल किए गए अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया।
पिछले महीने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों देश 2025 की शरद ऋतु तक व्यापार सौदे के पहले खंड पर काम करने के लिए सहमत हुए। इसका लक्ष्य 2030 तक 500 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार करना है।
भारत सहित व्यापारिक साझेदारों पर अप्रैल की शुरुआत से पारस्परिक टैरिफ लगाने के ट्रम्प के प्रस्ताव से ऑटो से लेकर कृषि तक के क्षेत्रों में भारतीय निर्यातक चिंतित हैं। Citi रिसर्च के विश्लेषकों का अनुमान है कि इससे सालाना लगभग 7 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।
एक सरकारी सूत्र ने बताया कि इस यात्रा के दौरान गोयल भारत पर पड़ने वाले अमेरिकी पारस्परिक शुल्कों के प्रभाव का आकलन करने के लिए उन पर स्पष्टता की मांग करेंगे तथा संभावित भारतीय रियायतों और शुल्कों को कम करने तथा द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए व्यापार समझौते पर भी चर्चा कर सकते हैं।
सूत्रों ने बताया कि भारत ऑटोमोबाइल और रसायनों सहित औद्योगिक उत्पादों पर शुल्क कटौती पर चर्चा करने के लिए तैयार है लेकिन कृषि उत्पादों पर शुल्क कम करने के दबाव का विरोध कर रहा है क्योंकि उसका तर्क है कि इससे लाखों गरीब किसान प्रभावित होंगे।
व्यापार तनाव को कम करने के लिए भारत ने पहले ही कई वस्तुओं पर शुल्क में कटौती कर दी है। उदाहरण के लिए हाई-एंड मोटरसाइकिलों पर 50 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तथा बॉर्बन व्हिस्की पर 150 प्रतिशत से 100 प्रतिशत कर कम कर दिया है जबकि अन्य शुल्कों की समीक्षा करने, ऊर्जा आयात बढ़ाने तथा अधिक रक्षा उपकरण खरीदने का वादा किया है।
भारत का अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार अमेरिका के साथ वस्तु व्यापार जनवरी तक के 10 महीनों में साल-दर-साल लगभग 8% बढ़कर 106 अरब डॉलर से अधिक हो गया है जबकि भारत ने व्यापार अधिशेष बनाए रखा है।
यदि अमेरिका कृषि उत्पादों की व्यापक श्रेणी में इस तरह के पारस्परिक टैरिफ का विस्तार करता है तो भारत के कृषि और खाद्य निर्यात, जिसमें झींगा और डेयरी शामिल हैं और जहां टैरिफ अंतर लगभग 40 प्रतिशत तक पहुंच जाता है सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। यह बात दिल्ली स्थित थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक रिपोर्ट में कही गई है।
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