राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनावी सुरक्षा को सख्त बनाने के लिए एक एग्जिक्यूटिव ऑर्डर जारी किया है। इसमें उन्होंने भारत के आधार से लिंक्ड वोटर आईडी सिस्टम का चुनावी पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के मॉडल के रूप में जिक्र किया है।
इस आदेश में कहा गया है कि कभी लोकतंत्र की मिसाल रहा अमेरिका अब उन बुनियादी और आवश्यक चुनावी सुरक्षा उपायों को लागू करने में नाकाम हो रहा है। आदेश में भारत के आधार लिंक्ड वोटर आईडी सिस्टम और ब्राजील के बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन सिस्टम को निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने का सफल उदाहरण बताया गया है।
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इस आदेश के तहत फेडरल चुनावों में वोट डालने के लिए मतदाताओं को नागरिकता का सबूत पेश करना जरूरी होगा। इसके अलावा सभी राज्यों को अपने मतदाता पंजीकरण सूची और रखरखाव का रिकॉर्ड होमलैंड सिक्योरिटी और गवर्नमेंट एफिशिएंसी विभाग जैसी संघीय एजेंसियों के साथ शेयर करना होगा। ये एजेंसियां राज्य के चुनाव अधिकारियों के साथ मिलकर मतदाता सूची में गैर नागरिकों की पहचान करेंगी।
आदेश में कहा गया है कि संघीय चुनावों में डाले गए सभी वोट चुनाव वाले दिन तक मिल जाने चाहिए। अभी 18 अमेरिकी राज्य और प्यूर्टो रिको मतदान दिवस के बाद मिले पोस्टमार्क वाले डाक मतपत्रों को भी स्वीकार करते हैं। नए आदेश के अनुसार, ऐसे मतपत्र अब गिने नहीं जाएंगे। जो राज्य इस नियम का पालन नहीं करेंगे, उन्हें संघीय फंडिंग में कटौती का सामना करना पड़ सकता है।
चुनावों में विदेशी दखल रोकने के लिए भी कई प्रावधान किए गए हैं। आदेश के तहत गैर नागरिकों को अमेरिकी चुनावों में किसी भी तरह का वित्तीय योगदान देने से रोक दिया गया है। यह मुद्दा खासतौर स्विस अरबपति हंसजोर्ग वाइस से जुड़े दान को लेकर रिपब्लिकन पार्टी द्वारा जताई गई चिंताओं के कारण चर्चा में रहा है।
आदेश में मतगणना के लिए बारकोड और क्यूआर कोड के इस्तेमाल पर बैन लगाने का भी निर्देश दिया गया है। यूएस इलेक्शन असिस्टेंस कमीशन को छह महीनों के अंदर मतदान सिस्टम की समीक्षा करने और उन्हें दोबारा सर्टिफाई करने का निर्देश दिया गया है।
राष्ट्रपति ट्रंप के इस आदेश को चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि इसे लेकर राजनीतिक विवाद गहराने के भी आसार हैं।
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