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ट्रम्प 2.0 में बर्खास्तगी की आशंका से खौफ में कर्मचारी, अदालत से लेकर आंदोलन तक की तैयारी

कर्मचारी संगठनों को डर सता रहा है कि ट्रम्प और एलन मस्क कॉस्ट कटिंग के नाम पर बड़े पैमाने पर फेडरल कर्मचारियों की छंटनी कर सकते हैं।

अमेरिकी सरकार देश की सबसे बड़ी नियोक्ता है। सबसे ज्यादा कर्मचारी वाशिंगटन डीसी, मैरीलैंड और उत्तरी वर्जीनिया में हैं। / REUTERS/Kevin Mohatt/File Photo

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार आते ही कुछ वर्गों में अपने भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है। इनमें फेडरल कर्मचारी भी शामिल हैं। उन्हें डर सता रहा है कि ट्रम्प और एलन मस्क कॉस्ट कटिंग के नाम पर बड़े पैमाने पर फेडरल कर्मचारियों की छंटनी कर सकते हैं। इससे बचने के लिए कर्मचारी संगठनों ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है। 

निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रम्प ने अमेरिकी सरकार और सरकारी विभागों को चुस्त दुरुस्त बनाने के लिए एक नया विभाग बनाने का ऐलान किया है। इसका मुखिया टेस्ला के मालिक एलन मस्क को बनाया गया है। राष्ट्रपति पद के पूर्व भारतवंशी प्रत्याशी विवेक रामास्वामी को भी इसमें अहम जिम्मेदारी दी गई है। इनके वास्तविक अधिकारों को लेकर अभी संशय की स्थिति है, लेकिन इतना तय है कि ये कुछ बड़े फैसलों की वजह बन सकते हैं।

मस्क कह चुके हैं कि वह 2 ट्रिलियन डॉलर तक की खर्च कटौती की योजना बना रहे हैं जो कि सालाना वार्षिक विवेकाधीन बजट से भी अधिक है। रामास्वामी ने हाल ही में कर्मचारियों की संख्या में 50% कटौती की अपनी योजना के तहत उन सभी कर्मचारियों को बर्खास्त करने का प्रस्ताव दिया था, जिनका सोशल सिक्योरिटी नंबर का आखिरी नंबर विषम संख्या में है। 

ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कुछ संघीय कर्मचारियों का स्टेटस बदलकर 'शेड्यूल एफ' करने की योजना को भी फिर से पुनर्जीवित किया जा सकता है, जो उनसे जॉब सुरक्षा का अधिकार छीन लेता है। ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए कर्मचारी संगठनों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। 

कर्मचारी संगठनों ने बड़े पैमाने पर बर्खास्तगी जैसे फैसलों का विरोध करने के लिए अदालत की शरण लेने के लिए वकीलों से सलाह मशविरा शुरू कर दिया है। साथ ही आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में जुट गए हैं। हालांकि उन्हें ये भी उम्मीद है कि ऐसी परिस्थिति में उन्हें बचाने के लिए डेमोक्रेट नेताओं के साथ साथ कांग्रेस के रिपब्लिकन सदस्य भी उनका साथ दे सकते हैं क्योंकि वे नहीं चाहेंगे कि ऐसे फैसलों के कारण स्थानीय अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, सुरक्षा आदि खतरे में आ जाए।

कर्मचारी संगठनों का मानना है कि फेडरल सरकार के खर्च का स्तर चूंकि अमेरिकी कांग्रेस ही तय करती है, ऐसे में रिपब्लिकन नेता अपने अधिकारों में कटौती के ऐसे किसी भी प्रयास के खिलाफ खड़े हो सकते हैं। हालांकि ट्रम्प द्वारा कांग्रेस के फैसलों को प्रभावित करने को लेकर आशंकाएं भी हैं।

नेशनल फेडरेशन ऑफ फेडरल एम्प्लॉइज के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर स्टीव लेनकार्ट ने कहा है कि ये साफ दिख रहा है कि ट्रम्प, मस्क और रामास्वामी कांग्रेस के जनादेश और संविधान के खिलाफ कदम उठाने से भी बाज नहीं आएंगे। ऐसे में इस बहस का कोई मतलब नहीं है कि खर्च को नियंत्रित करने का असल अधिकार किसका है।

एएफजीई की नीति निदेशक जैकलीन साइमन का कहना है कि 750,000 संघीय कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाला सबसे बड़ा फेडरल कर्मचारी संघ अमेरिकन फेडरेशन ऑफ गवर्नमेंट एम्प्लॉइज भी कांग्रेस की ओर निगाह लगाए बैठा है।

गौरतलब है कि अमेरिकी सरकार देश की सबसे बड़ी नियोक्ता है। सबसे ज्यादा कर्मचारी वाशिंगटन डीसी, मैरीलैंड और उत्तरी वर्जीनिया में हैं। दक्षिणी ओक्लाहोमा और उत्तरी अलबामा जैसे क्षेत्रों में भी काफी संख्या में कर्मचारी हैं।


 

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