अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कड़ी इमिग्रेशन नीतियों के बीच विदेशी छात्रों को उनके विश्वविद्यालयों की ओर से सलाह दी जा रही है कि वे किस तरह अपनी पढ़ाई पूरी करें और इमिग्रेशन संकट का किस तरह मुकाबला करें।
दो दर्जन से अधिक छात्रों, वकीलों और विश्वविद्यालयों के अधिकारियों ने बताया कि विश्वविद्यालयों के सलाहकारों द्वारा छात्रों से चुपचाप कहा गया है कि वे कोर्ट में केस लड़ने के लिए वकील की सेवाएं लें और जब तक कानूनी प्रक्रिया चल रही है, क्लास में अपनी पढ़ाई जारी रखें।
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फिलहाल यह रणनीति कारगर साबित होती दिख रही है क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने घोषणा की है कि वह उन विदेशी छात्रों का वीजा स्टेटस बहाल करेंगे जिनकी SEVIS यानी स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर इन्फॉर्मेशन सिस्टम में एंट्री मार्च के आखिर में खत्म कर दी गई थी। यह फैसला उन दर्जनों छात्रों की कानूनी जीत के बाद आया है जिन्होंने सरकार के इस कदम को चुनौती दी थी।
अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ यूनिवर्सिटीज की तरफ से दावा किया गया अमेरिका में इस समय रिकॉर्ड 11 लाख विदेशी छात्र हैं जिन्होंने पिछले साल अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगभग 44 बिलियन डॉलर का योगदान दिया था।
एमआईटी की प्रेसिडेंट सैली कॉर्नब्लुथ ने कहा कि हम एक अमेरिकन यूनिवर्सिटी हैं, फिर भी दुनिया भर से आने वाले छात्रों और स्कॉलर्स के बिना हम अधूरे हैं। यह बात सिर्फ पैसों की नहीं है। इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन के अनुसार, अमेरिका में कुल विदेशी छात्रों में से आधे से अधिक भारत और चीन से आते हैं।
अमेरिकन इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन (AILA) के अनुसार, मार्च के आखिर से यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) ने 4,700 से अधिक विदेशी छात्रों के नाम SEVIS डेटाबेस से हटा दिए थे। कई मामलों में आपराधिक गतिविधि का भी हवाला दिया था।
इनमें से लगभग आधे भारतीय छात्र हैं जिनमें से कई ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (OPT) के तहत काम कर रहे थे। AILA की तरफ से 327 मामलों की समीक्षा में यह बात सामने आई।
होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट की असिस्टेंट सेक्रेटरी ट्रिशा मैकलॉघलिन ने कहा कि अगर आप इस देश में अवैध रूप से हैं तो हम आपको गिरफ्तार करेंगे, डिपोर्ट करेंगे और आप कभी भी अमेरिका वापस नहीं लौट पाएंगे।
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