अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और सेकंड लेडी उषा वांस 28 मार्च की सुबह ग्रीनलैंड के पिटुफिक स्पेस बेस के दौरे पर रवाना हुए। इस एक दिवसीय यात्रा को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ग्रीनलैंड को अमेरिका में शामिल करने की योजना के मद्देनजर बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
ग्रीनलैंड वर्तमान में डेनमार्क के नियंत्रण में है, और डेनमार्क सरकार ने ट्रम्प प्रशासन की इस मंशा का कड़ा विरोध किया है। हाल के दिनों में वाशिंगटन और कोपेनहेगन के बीच इस मुद्दे पर मतभेद गहराते दिख रहे हैं।
ट्रम्प प्रशासन लंबे समय से ग्रीनलैंड को अपनी रणनीतिक और भू-राजनीतिक योजना का हिस्सा बनाना चाहता है। आर्कटिक में स्थित यह द्वीप अमेरिका के लिए सैन्य, आर्थिक और वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। पिटुफिक स्पेस बेस, जो अमेरिकी वायु सेना का एक प्रमुख केंद्र है, इसी रणनीति का हिस्सा माना जाता है।
यह भी पढ़ें- अधिकार नहीं, उपहार हैं छात्र वीजा; ट्रम्प सरकार के कड़े फैसलों के बचाव में उतरे रूबियो
डेनमार्क के कड़े विरोध के बावजूद अमेरिका का बढ़ता दबाव
डेनमार्क ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह ग्रीनलैंड की संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा। हालांकि, अमेरिका ने इस द्वीप में अपने प्रभाव को लगातार बढ़ाने की कोशिश की है। इस दौरे को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि वांस की यह यात्रा न केवल अमेरिका की सैन्य उपस्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि ग्रीनलैंड को लेकर ट्रंप प्रशासन के दीर्घकालिक इरादों को भी स्पष्ट करेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस दौरे के बाद डेनमार्क और अमेरिका के बीच राजनयिक संबंधों पर क्या असर पड़ता है और क्या ग्रीनलैंड को लेकर ट्रम्प प्रशासन अपने अगले कदम की घोषणा करता है।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login