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भारतीय मूल के शोधकर्ता विवेकानंदन और उनकी टीम ने जीता प्रतिष्ठित पुरस्कार

उनकी इस उपलब्धि से भारत और विज्ञान जगत में एक नया कीर्तिमान स्थापित हुआ है, जो क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

तेजोराम विवेकानंदन और उनकी टीम / University of Washington

भारतीय मूल के शोधकर्ता तेजोराम विवेकानंदन और उनकी टीम ने यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन (UW) में आयोजित 2025 हॉलोमन हेल्थ इनोवेशन चैलेंज (HIC) में शीर्ष पुरस्कार जीतकर इतिहास रच दिया। उनकी एआई-संचालित नवजात स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली ने जजों को प्रभावित किया और उन्हें इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में विजेता घोषित किया गया।

विवेकानंदन, लिलियन ट्रान और नाना वांग द्वारा संचालित ल्यूमिनोवाह (Luminovah) स्टार्टअप को $15,000 का 'हॉलोमन फैमिली ग्रैंड प्राइज' प्रदान किया गया। इस गैर-आक्रामक (non-invasive) तकनीक का उद्देश्य नवजात पीलिया (Jaundice) से होने वाली मौतों को कम करना है।

टीम ने अपने प्रेजेंटेशन में बताया, "नवजात शिशुओं में पीलिया मृत्यु दर का चौथा सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। हमें विश्वास है कि ल्यूमिनोवाह शुरुआती पहचान और उपचार में सुधार करके हजारों जानें बचाने में मदद कर सकता है।"

इसके अलावा, ल्यूमिनोवाह को 'नैचुराक्योर वाउंड हीलिंग बेस्ट आइडिया फॉर ए मेडिकल डिवाइस' पुरस्कार भी मिला, जिसकी राशि $2,500 थी। यह पुरस्कार उन चिकित्सा उपकरणों को दिया जाता है जिनमें रोगी देखभाल को बेहतर बनाने की जबरदस्त क्षमता होती है।

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यह प्रतियोगिता यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के फोस्टर स्कूल ऑफ बिजनेस में ब्यर्क सेंटर फॉर एंटरप्रेन्योरशिप द्वारा आयोजित की गई थी। इसमें छात्र-नेतृत्व वाली टीमों ने स्वास्थ्य क्षेत्र की जटिल चुनौतियों के समाधान प्रस्तुत किए।

पहले भी मिल चुकी है महत्वपूर्ण फंडिंग
टीम की यह सफलता उनके पहले के उपलब्धियों पर आधारित है। उन्होंने पहले ही UW CoMotion Innovation Gap Fund से $25,000 की फंडिंग प्राप्त की थी। खास बात यह है कि ल्यूमिनोवाह इस पुरस्कार को जीतने वाली पहली टीम है जिसमें 'वीमेंस एंटरप्रेन्योरियल लीडरशिप प्रोग्राम (WE Lead)' की सदस्य भी शामिल हैं।

तेजोराम विवेकानंदन: आईआईटी मद्रास से NASA तक का सफर
तेजोराम विवेकानंदन का शोध और वैज्ञानिक अनुभव बेहद प्रभावशाली रहा है। उन्होंने 2019 में इसरो (ISRO) और 2020 में नासा (NASA) में शोध कार्य किया था।

इसके अलावा, वह भारत के आईआईटी मद्रास (IIM Madras) में कम्प्यूटेशनल इमेजिंग लैब में शोध सहायक के रूप में काम कर चुके हैं। उन्होंने कोयंबटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, भारत से अपनी स्नातक डिग्री पूरी की और फिर यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन से अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी।

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