भारत के केरल की निमिषा प्रिया को यमन में मौत की सजा सुनाई गई है। उनके परिवार और समर्थक उनकी जान बचाने के लिए जोर-शोर से पैसे इकट्ठे करने की कोशिश कर रहे हैं। 31 दिसंबर 2024 तक भारत के विदेश मंत्रालय ने नर्स निमिषा प्रिया को मदद जारी रखने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि परिवार उनकी रिहाई के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है और सरकार भी इसमें पूरी मदद कर रही है। विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हमें यमन में निमिषा प्रिया को मिली सजा की जानकारी है। हम समझते हैं कि प्रिया का परिवार हर तरह के उपाय आजमा रहा है। सरकार इस मामले में हर तरह से मदद कर रही है।'
निमिषा प्रिया का परिवार जिसमें उनकी मां, पति और बेटी शामिल हैं, 2024 में यमन गए थे। वो जेल में निमिषा से मिले और उनके मृत साथी तलाल अब्दो महदी के परिवार से बातचीत की। वो निमिषा की बात समझाने और सुलह कराने की कोशिश कर रहे हैं। यमन में 'ब्लड मनी' या 'दिया' के चलन के मुताबिक, महदी का परिवार एक बड़ी रकम लेने पर माफी दे सकता है।
अभी तक निमिषा के समर्थकों ने 40,000 अमेरिकी डॉलर जुटाए हैं। इनमें से कुछ पैसे यमन में भारतीय दूतावास को भेज दिए हैं ताकि महदी के परिवार से बातचीत शुरू हो सके। लेकिन माफी दिलाने के लिए लगभग 400,000 अमेरिकी डॉलर चाहिए, जो बहुत बड़ी रकम है। परिवार इसे जल्दी से जल्दी जुटाने की कोशिश में लगा हुआ है। अब बातचीत का नतीजा ही तय करेगा कि निमिषा जिंदा रहेगी या नहीं।
इस बीच, 'ब्लड मनी' के जरिए माफी दिलाने की कूटनीतिक कोशिशों ने इस मामले को दुनिया भर में सुर्खियों में ला दिया है। इससे पता चलता है कि विदेशों में अपने नागरिकों के लिए न्याय दिलाने में अंतरराष्ट्रीय संबंधों की क्या भूमिका होती है। ईरान ने भी मानवीय आधार पर मदद देने की बात कही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक बड़े ईरानी अधिकारी ने कहा है कि वो इस मामले को सुलझाने में हर संभव मदद करने को तैयार हैं।
कैसे मुसीबतों के भंवर में फंसी निमिषा?
निमिषा की मुसीबतें 2017 में शुरू हुईं जब वो यमन के एक शख्स तलाल अब्दो महदी के साथ एक ऐसे रिश्ते में फंस गईं जिसमें उन्हें बहुत ज़ुल्म झेलना पड़ा। महदी के साथ मिलकर उन्होंने एक क्लीनिक खोला था। निमिषा केरल की नर्स हैं, जो 2008 में अपनी नौकरी के लिए यमन चली गईं। 2011 में टॉमी थॉमस से शादी करने के बाद वो यमन वापस आ गईं। वहां निमिषा नर्स का काम करती थीं और उनके पति इलेक्ट्रीशियन थे। उनका सपना एक क्लीनिक खोलने का था। लेकिन यमन के कानून के मुताबिक, विदेशी नागरिकों को वहां बिजनेस करने के लिए एक स्थानीय पार्टनर रखना होता है। इसी वजह से निमिषा को महदी के साथ पार्टनरशिप करनी पड़ी।
निमिषा के मुताबिक, महदी ने उनका पासपोर्ट छीन लिया। खुद को उनका पति बताकर उनके साथ शारीरिक और मानसिक ज़ुल्म करता रहा। वो एक अनजान देश में बिल्कुल असहाय और अकेली थीं और वहां से भागने का कोई रास्ता नहीं था। इधर भारत में, निमिषा के पति और बेटी यमन जाने में काफी परेशानी झेल रहे थे क्योंकि वहां गृहयुद्ध चल रहा था। 2017 से ही भारत सरकार ने यमन जाने पर रोक लगा रखी है, जो आज भी जारी है। इसलिए उनके परिवार को यमन जाने के लिए खास इजाजत लेनी पड़ी।
अपने जालिम से छुटकारा पाने के लिए निमिषा ने कथित तौर पर 2017 में महदी को बेहोश करने की योजना बनाई। उसका मकसद अपना पासपोर्ट लेना और देश से भाग जाना था। लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक, ओवरडोज की वजह से महदी की मौत हो गई।
2018 में, निमिषा पर यमन की अदालत में मुकदमा चला। इस मुकदमे में कई गंभीर सवाल उठे क्योंकि निमिषा को न तो कोई वकील मिला और न ही कोई इंटरप्रेटर। इस वजह से वो अपने ऊपर लगे आरोप नहीं समझ पाईं और अपना बचाव भी ठीक से नहीं कर पाईं। इन सब बातों के बावजूद, अदालत ने उन्हें हत्या का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुना दी।
निमिषा के वकीलों ने बाद में कई अपीलें कीं, क्योंकि मुकदमा उचित तरीके से नहीं चला था। लेकिन यमन की अदालतों ने मौत की सजा बरकरार रखी।
नवंबर 2023 में उनकी आखिरी अपील भी खारिज हो गई, जिससे अब उनके पास बहुत कम उम्मीदें बची हैं। अब उनका भविष्य अनिश्चित है, और उनका परिवार और समर्थक 'ब्लड मनी' से माफी दिलाने के लिए जोर-शोर से पैसे इकट्ठा करने में लगे हुए हैं।
'ब्लड मनी' क्या है?
यमन में इस्लामिक शरिया कानून मान्य है, जिसमें 'दिया' यानी 'ब्लड मनी' का रिवाज भी शामिल है। इस सिस्टम में, हत्या के शिकार के परिवार को दोषी को माफ करने का हक है, अगर उसे मुआवजा दे दिया जाए। भारत सरकार और ईरान के अधिकारियों ने मानवीय आधार पर मदद देने की बात तो कही है, लेकिन 'ब्लड मनी' की इतनी बड़ी रकम जुटाना एक बड़ी चुनौती है। इस मामले में कानूनी और नैतिक बहुत सारे पेचीदा पहलू हैं, जिसकी वजह से बहुत बहस हो रही है। खासकर इसलिए क्योंकि निमिषा का भविष्य महदी के परिवार पर निर्भर है कि वो मुआवजा लेने को राजी होते हैं या नहीं।
निमिषा का मामला उन विदेशी नागरिकों की मुश्किलों को दिखाता है जो ऐसे देशों में काम करते हैं जहां कानूनी सिस्टम सही नहीं है या जहां उन्हें शोषण का खतरा है। जैसे-जैसे उनका परिवार उनकी जान बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहा है, पूरी दुनिया नजरें गड़ाए हुए है। उम्मीद है कि कूटनीतिक कोशिशों और 'ब्लड मनी' से माफी मिलने से निमिषा के लिए अच्छा नतीजा निकलेगा।
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