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कौन हैं जगमीत सिंह, जिन्होंने कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार की नींव हिला दी है

अक्टूबर 2017 में जगमीत सिंह खुद को पीएम पद का दावेदार घोषित करके चर्चा में आए थे। अब सात साल बाद ट्रूडो सरकार से समझौता तोड़कर और खुद को प्रधानमंत्री पद का खिलाड़ी घोषित करके फिर से खबरों में हैं।

स्कारबोरो में पंजाबी माता-पिता के घर जन्मे जगमीत सिंह का बचपन भारत के पंजाब में बीता है।  / X @theJagmeetSingh

"कनाडा के लोग ऐसी सरकार के हकदार हैं, जो केवल न्यू डेमोक्रेट्स ही दे सकते हैं। ऐसी पार्टी जो अपना काम पूरा करती है, जो अपने वादों को निभाती है। यही कारण है कि आज (1 अक्टूबर 2017) मैं आधिकारिक तौर पर कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनने के लिए अपना अभियान शुरू करने जा रहा हूं।" ये बयान सात साल पहले जगमीत सिंह ने कनाडा की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी (अब सत्तारूढ़ लिबरल्स के बाद चौथी बड़ी पार्टी) के नेता पद के लिए कुल योग्य मतों के 53.8 प्रतिशत हासिल करने के बाद दिया था। 

सात साल के बाद जगमीत सिंह फिर से चर्चा में हैं। न केवल सत्तारूढ़ पार्टी के साथ अपने 30 महीने पुराने समझौते को तोड़कर सरकार को अस्थिर करने के लिए बल्कि फिर से खुद को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित करने के लिए। जगमीत का दावा है कि सिर्फ वही कंजर्वेटिव्स को सत्ता से बाहर रख सकते हैं।

अक्टूबर 2017 में जब जगमीत सिंह ने पीएम पद के लिए अपनी दावेदारी घोषित की थी, तब वह कनाडा के राजनीतिक क्षितिज पर एक नए सितारे की तरह उभरे थे। शीर्ष पद की रेस में शामिल सौम्य, करिश्माई और ऊर्जावान जगमीत ने 47,000 नए सदस्यों को नामांकित किया था। इनमें से ओंटारियो में 30,000 सदस्य थे, जिसे एक समय लिबरल्स का गढ़ माना जाता था। जगमीत ने पहली ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए तीन अनुभवी विरोधियों को धूल चटा दी थी और ओंटारियो के सांसद चार्ली एंगस के साथ सीधे मुकाबले में आ गए थे।

अपने प्रचार अभियान के दौरान जगमीत अक्सर अपने परिवार के संघर्ष की कहानी सुनाया करते थे। वामपंथी झुकाव वाले, कामगारों के पसंदीदा नेता जगमीत को फेडरल राजनीति में कई लोग 'गेम चेंजर' के रूप में देखते थे। राजनीति में उनका उदय अभूतपूर्व रहा है। स्कारबोरो में पंजाबी माता-पिता के घर जन्मे जगमीत सिंह अंग्रेजी, पंजाबी और फ्रेंच बोलते हैं। उन्होंने बचपन के कई साल भारत के पंजाब में अपने दादा-दादी के साथ बिताए हैं। 

उनके पिता मनोचिकित्सक थे और उस समय प्रैक्टिस करने का लाइसेंस पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। उनके पिता को छोटे-मोटे काम करने पड़े थे। उन्होंने सुरक्षाकर्मी का काम भी किया था। एक समय जब उनके पिता गंभीर रूप से बीमार पड़ गए, तब जगमीत को अपने भाई गुररतन सिंह की पढ़ाई और परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ी थी जो बाद में ओंटारियो के सांसद बने थे। गुरमीत की शादी 2018 में गुरकिरण कौर सिद्धू से शादी हुई। वह दो बच्चों के पिता हैं।

पहले ही चुनाव में जगमीत सिंह की सांगठानिक और फंडरेजिंग क्षमताओं की परीक्षा हुई। उन्होंने न केवल अपने तीनों विरोधियों को पछाड़ दिया बल्कि एनडीपी में एक विकल्प पेश किया। पार्टी के अंदर और बाहर से हमलों के बीच जगमीत सिंह के पास 2019 के संघीय चुनाव से पहले महज दो साल थे। उस वक्त 338 सदस्यीय सदन में उनकी पार्टी के 44 प्रतिनिधि थे। 

पार्टी के 1,24,000 सदस्य जब अपने नए नेता का चुनाव करने को तैयार थी, ठीक उसी वक्त निवर्तमान अध्यक्ष थॉमस मल्कायर ने एक दांव खेल दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी की मुखिया ऐसा होना चाहिए जो हाउस ऑफ कॉमन्स में बैठकर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनकी लिबरल ब्रिगेड का मुकाबला कर सके। यह जगमीत के लिए झटका था क्योंकि पार्टी प्रमुख की रेस में वह इकलौते गैर-सांसद थे। उनके तीनों प्रतिद्वंद्वी चार्ली एंगस, निकी एश्टन और गाय कैरन क्रमशः ओंटारियो, मैनिटोबा और क्यूबेक से सांसद थे।

8 अगस्त 2018 को जगमीत सिंह ने ऐलान किया कि वह बर्नाबी साउथ सीट पर होने वाले उपचुनाव में भाग लेंगे। उन्हें 38.9 प्रतिशत वोट मिले और 25 फरवरी 2019 को वह हाउस ऑफ कॉमन्स पहुंच गए। कुछ महीने बाद चुनाव हुए और जगमीत 21 अक्टूबर 2019 को फिर से चुने गए। हालांकि जगमीत की शुरुआत अच्छी नहीं हुई। एनडीपी पिछले चुनाव के मुकाबले हाउस ऑफ कॉमन्स में 44 सीटों के बजाय केवल 24 सीटें ही जीत सकी। यह 2004 के बाद एनडीपी को मिली सबसे कम सीट थीं। इसने एनडीपी के हाथ से कनाडा की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी होने का खिताब छीन लिया। ब्लॉक क्यूबेकोइस ने उसे पीछे छोड़ दिया था। 

चुनाव में जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी की सरकार बहुमत हासिल नहीं कर पाई। ऐसे में एनडीपी ने संघीय राजनीति में शक्ति संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जगमीत सिंह 44 वें हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए फिर से चुने गए। एनडीपी 25 सीटों के साथ चौथी सबसे बड़ी पार्टी बनी रही।

22 मार्च 2022 को जगमीत सिंह के नेतृत्व में एनडीपी ने अल्पसंख्यक लिबरल सरकार को सत्ता तक पहुंचाने के लिए विश्वास एवं आपूर्ति समझौता किया। ये समझौता 2025 तक चलना था, लेकिन 4 सितंबर 2024 को जगमीत सिंह ने हेल्थकेयर रिफॉर्म्स और अफॉर्डेबिलिटी उपायों पर नाराजगी का हवाला देते हुए समझौता तोड़ दिया। इस तरह ट्रूडो सरकार अब संकट में घिर गई है। 

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