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LGBTQ समुदाय के सपोर्ट में हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन, दिया प्राचीन हिंदू ग्रंथों का हवाला

प्राइड मंथ के अवसर पर हिंदू अमेरिकी फाउंडेशन ने एलजीबीटीक्यू अधिकारों पर अपना अपडेटेट बयान जारी किया है। इसी में प्राचीन हिंदू ग्रंथों में समलैंगिकों समावेश के उल्लेख का जिक्र किया गया है।

एचएएफ 2015 से एलजीबीटीक्यू अधिकारों को लेकर मुखर रहा है। / Courtesy Photo


हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ) ने एलजीबीटीक्यू अधिकारों की वकालत करते हुए एक बयान में कहा है कि प्राचीन हिंदू ग्रंथों में भी समलैंगिकों का जिक्र है। इन्हें मूल रूप से सात सामान्य प्रकारों और 40 विशिष्ट श्रेणियों में विभाजित किया गया है। 

प्राइड मंथ के अवसर पर हिंदू अमेरिकी फाउंडेशन ने एलजीबीटीक्यू अधिकारों पर अपना अपडेटेट बयान जारी किया है। इसी में प्राचीन हिंदू ग्रंथों में समलैंगिकों समावेश के उल्लेख का जिक्र किया गया है।



एचएएफ 2015 से एलजीबीटीक्यू अधिकारों को लेकर मुखर रहा है। अब उसने प्राचीन आध्यात्मिक ग्रंथों में एलजीबीटीक्यू के उल्लेख का हवाला देते हुए हिंदु और अन्य समुदायों में एलजीबीटीक्यू को मान्यता प्रदान करने पर जोर दिया है।

इस संक्षिप्त बयान में कहा गया है कि प्राचीन हिंदू चिकित्सा ग्रंथों में समलैंगिकता को लिंग और कामुकता की जटिलता के साथ वर्णित किया किया गया है। इसके अनुसार, मनुष्य को मुख्य रूप से तीन प्रकार के जन्मजात लिंग लक्षणों में वर्गीकृत किया गया है। ये हैं- स्त्री, मर्दाना और तृतीय प्रकृति। 

बयान में आगे कहा गया है कि हिंदू प्राचीन ग्रंथों में थर्ड जेंडर को सात सामान्य प्रकारों और 40 से अधिक विशिष्ट श्रेणियों में विभाजित किया गया है। ये विभाजन उनके बायोलॉजिकल सेक्स, सेक्सुअल ओरियंटेशन, जेंडर पहचान, शारीरिक क्षमता और यौन रुचि आदि के आधार पर किया गया है। 

एचएएफ ने समलैंगिकों को लेकर अपने पुराने रुख को मजबूत करते हुए जारी नए अपडेटेट ब्रीफ में कहा है कि हमने अपने सिद्धांतों के अनुरूप ही एलजीबीटीक्यू की पैरोकारी करने का फैसला किया है। हम इस पर कायम रहेंगे। यह हमारे प्राचीन आध्यात्मिक मूल्यों का हिस्सा है। हम एलजीबीटीक्यू लोगों के अधिकारों के लिए अपना समर्थन जारी रखेंगे।

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